भारतीय संस्कृति में प्राचीनकाल से अनेक शिष्टाचारों का प्रचलन रहा है। उस काल में विवाह संस्कार एक सामान्य शिष्टाचार था। विवाह के अवसर पर पिता स्वेच्छा से अपने सामर्थ्य के अनुसार कन्यादान के रूप में कन्या को कुछ उपहार देता था। उनकी हमेशा से शुभकामना होती है कि,कन्या अपनी […]
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कमोबेश यह स्थिति भारत की सभी भाषाओं की है। यदि हम अपनी भाषाएं ही न बचा पाए तो,भारतीय धर्म- संस्कृति,ज्ञान-विज्ञान,बौद्धिक-संपदा व आध्यात्म ही नहीं,भारतीयता को बचाना भी असंभव है। जब हम भारत की भाषाओं और भारतीयता से दूर होंगे तो,आने वाली पीढ़ियों में भारत के प्रति प्रेम यानी राष्ट्रप्रेम कैसे बचेगा? […]