और संस्कृत की तरह हिन्दी भी एक दिन मृत घोषित हो जाएगी

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m l gupta

कमोबेश यह स्थिति भारत की सभी भाषाओं की है। यदि हम अपनी भाषाएं ही न बचा पाए तो,भारतीय धर्म- संस्कृति,ज्ञान-विज्ञान,बौद्धिक-संपदा व आध्यात्म ही नहीं,भारतीयता को बचाना भी असंभव है। जब हम भारत की भाषाओं और भारतीयता से दूर होंगे तो,आने वाली पीढ़ियों में भारत के प्रति प्रेम यानी राष्ट्रप्रेम कैसे बचेगा?

इसीलिए,पाश्चात्य विद्वान थॉमस डेविड ने कहा था-‘राष्ट्र की रक्षा से भी अधिक जरूरी है,राष्ट्रभाषा की रक्षा।` इसका अभिप्राय यह है कि,राष्ट्र की भाषाएं ही किसी देश की संस्कृति को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक लेकर जाती हैं,और संस्कृति ही किसी राष्ट्र को बांधने का मूल तत्व है। जब हमारी भाषाएं ही न बचेंगी तो, संस्कृति कैसे बच सकती है? और जब राष्ट्र को बांधने वाला मूल तत्व ही न होगा तो राष्ट्र कब तक और किस हद तक एक तथा सुरक्षित रह सकेगा? जब राष्ट्र ही न होगा तो,हम रक्षा किसकी करेंगे?

जो कई देशों और कुछ पुराने गुलाम देशों को छोड़कर विश्व के सभी छोटे-बड़े देश अपनी भाषा में पढ़ते हैं,काम करते हैं और आगे बढ़ते हैं।

यह भी ध्यान देने की बात है कि,दुनिया के बीस सबसे गरीब व पिछड़े देश वे हैं,जो पराई भाषा(उनकी भाषा जिनके वे गुलाम थे) में पढ़ते व काम करते हैं।और दुनिया के बीस सबसे अमीर व सम्पन्न देश वे हैं,जो अपने देश की भाषा में पढ़ते व काम करते हैं। (आभार-वैश्विक हिन्दी सम्मेलन)

#डॉ. एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’

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मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।