मैं एक गृहिणी हूँ,और हिन्दी को राष्ट्रभाषा रूप में प्रचारित एंव प्रसारित होने और न हो पाने के कारणों पर मेरा दृष्टिकोण,भाषा अधिकारियों से वैभिन्यता रखता हो,उनकी दृष्टि में उतना तर्कसम्मत और वैज्ञानिक न हो,इसके बावजूद मेरा दृष्टिकोण एक आम भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व अवश्य करता है, ऐसा मेरा मानना […]
चर्चा
चर्चा
डॉ. मनोहर भण्डारी…….. मातृभाषा किसी व्यक्ति,समाज,संस्कृति या राष्ट्र की पहचान होती है। वास्तव में भाषा एक संस्कृति है, उसके भीतर भावनाएं, विचार और सदियों की जीवन पध्दति समाहित होती है। मातृभाषा ही परम्पराओं और संस्कृति से जोड़े रखने की एकमात्र कड़ी है। राम-राम या प्रणाम आदि सम्बोधन व्यक्ति को व्यक्ति से तथा समष्टि से जोड़ने वाली सांस्कृतिक […]
आसाराम-सिंधी है,राम रहीम-सिख जाट, रामपाल भी जाट,राधे माँ-खत्री सिख है तो जय गुरुदेव-अहीर हैं…यह सब गैर ब्राह्मण बाबा हैं। इन्हीं लोगों ने सनातन धर्म का सत्यानाश किया है। ब्राह्मणों का क्या महत्व है, अब सबको समझना चाहिए। परशुराम जी ब्राह्मण थे,शंकराचार्य जी भी ब्राह्मण थे और चाणक्य भी ब्राह्मण थे,जिन्होंने […]