हम प्रतिवर्ष मातृ दिवस मनाते हैं। माता सन्तान को जन्म देती है। नो महीने गर्भ में रखती है। कितना दुख दर्द सहती है। ऐसी अवस्था मे भी घर के सारे काम करती हुई परिवार की देखरेख,बच्चों की देखभाल करती है। माता सहनशक्ति की प्रतीक होती है। वह खुद […]

जिंदगी में हर बार वक्त बदलता है  ओर वक्त के साथ साथ सब कुछ बदलता है। वह जमाना था जब वेद ,मंत्रों को पढ़ाया जाता था। फिर युग बदला तब वेदों के साथ साथ हथियार कैसे चलाना भी सिखलाया जाता था, जो युद्ध में काम आते थे, फिर शिक्षा केवल […]

आज जब दलित साहित्य पर नजर डालता हूँ तो पाता हूँ कि जैसे एक ठहराव आ गया है । अतीत का बहुत दोहराव  हो रहा है । एक जो मानसिक फ्रेम बना हुआ है वह निकल नहीं रहा है । अधिकांश दलित साहित्यकार उन पुरानी परिस्थितियों से उबर नहीं पाये […]

   परिवार में जिनकी आयु साठ वर्ष हो गए या जिनकी सेवानिवृति हो गई। वे वरिष्ठ नागरिक कहलाते हैं। वरिष्ठ जन ही परिवार की नींव होती है। लेकिन आज की पीढ़ी वरिष्ठ के साथ रहना पसन्द नहीं करते। वे एकल परिवार में स्वतंत्रता के साथ रहना चाहते हैं। किसी की […]

            “देखो इस तपस्या से ईश्वर को पाकर ,  निश्छल स्वभाव से गृहस्थ जीवन में आकर”  विश्वास है ईश्वर को पाने के लिए कठिन तपस्या करनी पड़ती है ।  इसका सीधा अर्थ हुआ कि कठिन परिश्रम या तपस्या करो और ईश्वर को पाओ। पर क्या […]

 समाज हमेसा से दो भागों में बंटा रहा है ,एक अच्छे लोगो मे दूसरा अच्छेपन का दिखावा करने वाले लोगो मे । समाज हमेसा दोहरे मापदंड तय करता है ,और यही समाज का असली रूप है। किसी व्यक्ति का रंग उसके व्यक्तित्व का परिचायक नही हो सकता ,पर सामाजिक रूप […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।