
मुझे एक वाक्या बहोत अच्छे से याद है कि मेरे ही एक घनिष्ठ मित्र ने मुझे देश में कहीं रंगभेद के कारण हुए अत्याचार के घटना की फ़ोटो भेज कर अप्रत्यक्ष रूप से मुझे वही कहना चाहा जिसकी बात ऊपर अभी तक हुई , घनिष्ठ मित्रो में ऐसे हंसी मजाक आम बात होते है पर क्या ये सही है कि हमेसा ऐसी घटना होने पर उस व्यक्ति पर भी तंज कसा जाए जो ऐसा है ??
समाज हमेसा से ही ऐसी बातों को सही और एक सम्मान के तौर पे देखता आया है जो कि समाज का घिनौना और कड़वा सच है । ऐसे व्यक्तियों से लड़ने के बजाय उनसे सहानभूति प्रदर्शित करनी चाहिए क्यों कि वो एक प्रकार के मनो रोगी है और वह इस पीड़ा से बुरी तरह ग्रस्त है । उन्हें इस बात का ऐहसास कराना चाहिए कि जो उनका गोरा रंग है उसके पीछे एक बेहद काला रंग है जो बाहर के काले रंग से लाख गुना खतरनाक है । उनको यह समझाना चाहिए कि उनका यह रंग उनके व्यक्तित्व को प्रदर्शित नही करता तन गोरा मन काला हुआ तो वह गोरापन किसी काम का नही ।
परिचय-आलोक कुमार सिंगरौलजन्म स्थान-शहडोलवर्तमान में भोपाल में सिविल सेवा की परीक्षा हेतु अध्ययनरतनिवासी-सतना

