गृहस्थ जीवन और परमात्मा

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            meena kumari solanki
“देखो इस तपस्या से ईश्वर को पाकर ,
 निश्छल स्वभाव से गृहस्थ जीवन में आकर”
 विश्वास है ईश्वर को पाने के लिए कठिन तपस्या करनी पड़ती है ।  इसका सीधा अर्थ हुआ कि कठिन परिश्रम या तपस्या करो और ईश्वर को पाओ। पर क्या यह तपस्या, यह परिश्रम गृहस्थ जीवन में अथवा सांसारिक जीवन में आने वाली कठिनाइयों से अधिक है ! शायद नहीं, भगवान तो फिर भी सरलता से मिल जाते हैं पर कठिन परिश्रम के पश्चात भी कई बार संसार नहीं मिलता। क्योंकि संसार में गतिरोध, उलझने और कुटिलताएँ भोगनी पड़ती हैं। जो साधु- संतों की तपस्या से कोसों दूर हैं। लोगों का मानना है कि केवल गृहस्थ जीवन त्याग कर संतों -साधुओं की तपस्या करने से परमात्मा को पाया जा सकता है परंतु यदि संतों की जाने तो उनका मानना है कि यदि संसार बनाने वाले को पाना है तो संसार चलाना सीखो।
         परिवार सहायक होता है संसार चलाने में और संसार को बनाने वाले को पाने में। भौतिक वस्तुओं की लालसा में ही सही पर अनेक कठिनाइयों को भोंगते हुए जब मानव अपने परिवार की खुशहाली के लिए खूब परिश्रम करता है और इसके लिए वह नियमित रूप से ईश्वर से प्रार्थना और धन्यवाद करता है तो सुखी परिवार के जीवन के साथ-साथ उसे स्वयं ईश्वर की प्राप्ति हो जाती है ।  क्योंकि जिसने संसार बनाया है वह उसे सुखी देख कर अतिशीघ्र प्रसन्न हो किसी ना किसी रूप में दर्शन अवश्य देते हैं।
   #डॉ.मीना कुमारी सोलंकी हरियाणा
परिचय-
नाम ___डॉ मीना कुमारी सोलंकी
जन्म स्थान ___नीमली ,चरखी दादरी, हरियाणा 
पिता ___सूबेदार शीशराम 
माता ___श्रीमती फूलवती टेलरणी
 योग्यता ___एम ए ,एमफिल ,पीएचडी हिंदी ,एम ए एजुकेशन ,जेबीटी ,बीएड , टैट ,स्क्रीनिगं आदि
व्यवसाय ___अध्ययन, अध्यापन 
रुचि ____नृत्य ,गायन, अभिनय, वादन ,डीबेट करना आदि
 विशेष __स्थानीय, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक पत्र पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन तथा कवि सम्मेलन एवं सेमिनारों में सहभागिता।
पत्राचार__  डॉ मीना कुमारी  c/o देईचंद सांगी
 गांव व डाकखाना –सांखोल 
तहसील -बहादुरगढ़ 
जिला -झज्जर (हरियाणा )

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।