शत-शत नमन…, भारत में हो अमन…। सागर तेरे चरण पखारे रक्षक बन पर्वत संहारे, नित-नित हम शीश झुकाते…॥ वृक्ष जहां अम्बर कहलाते हरियाली बन धरा सजाएं, क्यूँ न हम शीश झुकाएं…॥ पावन माटी सोना उपजाती खलिहानों से भूख […]
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दरिया बहती… बढ़ती जाती… पल-पल एहसास कराती, नदियों से मिल.. खिल लहरों से, नव सागर एक दीप्त बनाती…। कभी थमना तो,तेज बहते जाना… जीवन का खेल सिखाती मुस्कुरा खुशियों से.. गमों में यूँ गुनगुना, कल..आज-कल… क्या हुआ,अब होगा क्या..? अनुरागी-वैरागी मन… रचती जन्म-जन्मान्तर… जागृत पुण्यों को करती। रागिनी बन दिल […]