तन से मन का बस ये ….कहना।
फिर फिर जीना फिर फिर मरना।
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उसको देखो दुख मत …… देना।
जिससे तुमने सीखा ……सहना।
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इन आँखों के आँसू……. पौंछो।
मौत रही है मेरा…….. गहना।
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जब जाऊँ जग से मैं सुन लो।
आँखों से कहना मत बहना।
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आज यही सच जीवन का बस।
आता जो है उसको ……जाना।
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आना सिर्फ सफल है ..उसका।
जिसने सीखा सपने…गढ़ना।
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चलता जीवन चक्र… हमेशा।
आज गया तो कल है आना।
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चाह नहीं वापस आऊँ …मैं।
ढेर लगा हडडी क्या करना।
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आते जाते सुख दुख सहते।
इससे अच्छा है बस तरना।
#सुनीता उपाध्याय `असीम`परिचय : सुनीता उपाध्याय का साहित्यिक उपनाम-‘असीम’ है। आपकी जन्मतिथि- ७ जुलाई १९६८ तथा जन्म स्थान-आगरा है। वर्तमान में सिकन्दरा(आगरा-उत्तर प्रदेश) में निवास है। शिक्षा-एम.ए.(संस्कृत)है। लेखन में विधा-गजल, मुक्तक,कविता,दोहे है। ब्लॉग पर भी लेखन में सक्रिय सुनीता उपाध्याय ‘असीम’ की उपलब्धि-हिन्दी भाषा में विशेषज्ञता है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिन्दी का प्रसार करना है।