इश्क   शहनाई   प्यारे  नगाड़ा   नहीं। मुहब्बत  दूनी  दो   का   पहाड़ा नहीं। बेवफ़ा  ना  मुझको   ऐसा इल्ज़ाम दे। घर  वफ़ा  ने  किसी का उजाड़ा नहीं। दिल  लगी   तुम्हारा   है   खेल  क्या। यह   अनमोल   गोहर   कबाड़ा  नहीं। यह  वहम   कि   मैं   हिरनी हूं शेरनी। खैर  मानो  अभी  तक   दहाड़ा  नहीं। जिंदगी  वो    […]

केवल सैनिकों का लहू लाल होता है श्वेत रक्तधारियों की तो बस जिह्वा में उबाल होता है । अगर इन्हें विरोध करना हो सरकारी नीति का तो ये ही उल्लंघन करें संविधान का, और सड़कों पर भी इन्हीं का बवाल होता है। लगा कर आग परिस्थिति से भाग इन्हें ,न […]

आज बदलते हालातों पर अंकुश कब लगाएंगे, नहीं कोई फौलादी तो महल सरीके गिर जाएंगे।     तुम आज विदेशी बन बैठे,हिन्दी बड़ी बताते हो, भूल गए आजादी क्या,गुलामी भाषा अपनाते हो।     आज बड़े हैं ठाठ तुम्हारे तो,इंग्लिश की पुस्तक है, तुम हिंदी न बोल पाते हो,ऐसी बेढंग […]

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पन्नों में छिपा इतिहास ढूंढते ढूंढते, जी भर गया अब तो बकवास ढूंढते-ढूंढते। नजारे भी जहां नजरों की बात करते थे, उम्र गुजर गई वो एहसास ढूंढते-ढूंढते। जी-जान जिसपे वार के हम मर मिटे यारों, वो उलझे रहे कफ़न भी खास ढूंढते-ढूंढते। अपने आप को झूठा-सा ही दिलासा देकर, मैं […]

ये जमाना तितलियों की बात करता है, तो इशारा बिजलियों की बात करता है। यहां अजनबी लहरें बह आती हैं क्योंकि, किनारा भी मछलियों की बात करता है॥ रातों में दिखे थे वो उलझते हुए तब से, अंधेरा भी मकड़ियों की बात करता है। जिसे छोड़ आए हम कहीं दूर […]

कभी गद्दार उन्हें कहकर गद्दारी नहीं करते, मक्कार उनको कहकर मक्कारी नहीं करते। वो नादां है इतने कि समंदर भी कह उठे, तूफान उनको कहकर तूफानी नहीं करते। हो सकता है मेरी गल्फहमी हो फिर भी, ईमान बिका कहकर बेईमानी नहीं करते॥ हम झूठी शान बताकर सम्मान नहीं करते, सौ […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।