इश्क शहनाई प्यारे नगाड़ा नहीं।
मुहब्बत दूनी दो का पहाड़ा नहीं।
बेवफ़ा ना मुझको ऐसा इल्ज़ाम दे।
घर वफ़ा ने किसी का उजाड़ा नहीं।
दिल लगी तुम्हारा है खेल क्या।
यह अनमोल गोहर कबाड़ा नहीं।
यह वहम कि मैं हिरनी हूं शेरनी।
खैर मानो अभी तक दहाड़ा नहीं।
जिंदगी वो दुआओं से लवरेज है।
संवारा दर किसी का उखाड़ा नहीं।
परिचय : रानू धनौरिया की पहचान युवा कवियित्री की बन रही है। १९९७ में जन्मीं रानू का जन्मस्थान-नरसिंहपुर (राज्य-मध्यप्रदेश)है। इसी शहर-नरसिंहपुर में रहने वाली रानू ने जी.एन.एम. और बी.ए. की शिक्षा प्राप्त की है। आपका कार्यक्षेत्र-नरसिंहपुर है तो सामाजिक क्षेत्र में राष्ट्रीय सेवा योजना से जुड़ी हुई है। आपका लेखन वीर और ओज रस में हिन्दी में ही जारी है। आपकॊ नवोदित कवियित्री का सम्मान मिला है। लेखन का उद्देश्य- साहित्य में रुचि है।