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रहिए हमेशा कर्मरत यह कर्म ही तो धर्म है।
संवाद होते हैं मधुर प्रतिकूल लेकिन कर्म हैll
संसार माया मोह का पहने कवच ऐसा खड़ा,
है भेदना सम्भव नहीं,कितना कठिन यह वर्म हैll
परवाह करता कौन है कोई दुखी हो या मरे,
समझा कोई सकता नहीं,दुनिया बड़ी बेशर्म हैll
तूफान हिंसा के उठे,दहशत दिशाओं में भरी,
सुख-शांति की क्या बात हो.चलती हवा भी गर्म हैll
है योग्यता इनमें नहीं,शिक्षा ग्रहण कोई करें,
हर दण्ड पच जाता इन्हें,मोटा बहुत ही चर्म हैll
ये मान या मद मोह,विचलित कर उसे सकते नहीं,
जिसमें बसे श्रीराम रब व्यवहार उसका नर्म हैll
तज स्वार्थ पर उपकार रत रहता सुजन जो सर्वदा,
वह साधु धार्मिक शुद्ध मन नित पालता सदधर्म हैll
#डॉ. रंजना वर्मा
परिचय : डॉ. रंजना वर्मा का जन्म १५ जनवरी १९५२ का है और आप फैज़ाबाद(उ.प्र.) के मुगलपुरा(हैदरगंज वार्ड) की मूल निवासी हैंl आप वर्तमान में पूना के हिन्जेवाड़ी स्थित मरुंजी विलेज( महाराष्ट्र)में आसीन हैंl आप लेखन में नवगीत अधिक रचती हैंl
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