जाने अमृत होगा या कि गरल होगा।
जाने कैसा आने वाला कल होगा॥
वर्तमान ही जीने का सम्बल होता।
निर्णय समय करेगा वही अटल होगा॥
है प्रयास करना ही जब अपने वश में।
व्यर्थ न सोचें,उसका कैसा फल होगा॥
देखो स्वप्न सुनहरे कितने ही लेकिन।
कर्म नहीं यदि किया,स्वयं से छल होगा॥
चेतो मानव अब अपनी आँखें खोलो।
वरना कहीं न अन्न,न निर्मल जल होगा॥
कल क्या होगा,इसे भुला दें यदि हम तो।
सच कहती हूँ जीना बहुत सरल होगा॥
नीलम का अम्बर,सोने की भूमि बने।
बहता झरना सपनों का अविरल होगा॥
#डॉ. रंजना वर्मा
परिचय : डॉ. रंजना वर्मा का जन्म १५ जनवरी १९५२ का है और आप फैज़ाबाद(उ.प्र.) के मुगलपुरा(हैदरगंज वार्ड) की मूल निवासी हैंl आप वर्तमान में पूना के हिन्जेवाड़ी स्थित मरुंजी विलेज( महाराष्ट्र)में आसीन हैंl आप लेखन में नवगीत अधिक रचती हैंl