सुनो ज़रा इक बात कबूतर तुम रहते थे छत के ऊपर मगर नज़र न अब आते हो चले कहां तुम फिर जाते हो कहा कबूतर सुन मेरे भाई तुमने ही ये आफत लाई दिये काट जंगल को सारे यही पेड़ थे मेरे सहारे नहीं दूर तक मिलता पानी आग उगलती […]
-जियाउर रहमान जाफ़री सबकी देखो यही कहानी सब कहते हैं पानी -पानी है ये तो बरसात का मौसम बारिश वाली रात का मौसम माना बिजली चमक रही है बूंद एक न टपक रही है बादल भी आकाश पे छाता लेकिन फ़ौरन ही छट जाता सूख रहे हैं नदियाँ -नाले बहुत […]
क्या शायु ने शौक़ दिखाया घर में आकर पेड़ लगाया हरी भरी ये डाली उसकी वो करता रखवाली उसकी वक़्त से पानी भी देता है खाद भी आकर ले लेता है घेर के ईंटे से वो आये कहीं ना बकरी ये खा जाये ख़ुशियाँ कितनी वो पाता है रोज़ पेड़ […]
अज्ञेय की अलंकारधर्मिता के नव्य आयाम….. ये डा प्रभात कुमार प्रभाकर की आलोचना की नई किताब है. ये कहने की कतई ज़रूरत नहीं कि अज्ञेय पर अब तक जितनी भी किताबें हैं उसमें अलंकार की दृष्टि से उनकी रचनाओं को समझने का यह पहला प्रयास है. ज़ाहिर है रचनाकार ने […]
1…चावल रोटी और तरकारी बीती इसमें उम्र हमारी 2- जब से उसमें सियासत आई नहीं रहा वो भाई भाई…. 3- उस ज्योतिष ने क्या -क्या देखा नहीं दिखी पर हाथ की रेखा… 4- पत्नी माँ बेटी पे कविता रो रही लेकिन घर की सीता… #डॉ.जियाउर रहमान जाफरी परिचय : डॉ.जियाउर रहमान […]
ज़रूरी क्या है अभी आ के लौट जाने की ज़रा सी लाज तो रख लो गरीबखाने की सुना है वो यकीं जीतने में रखता है सुना है उसकी भी आदत थी हार जाने की खुदा ने फिर से बचाया अना परस्तों से किसी ने आबरू रख ली गरीबखाने की वो […]
आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है।
आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं।
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया।
इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं।
हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।