#प्रभात कुमार दुबे (प्रबुद्ध कश्यप)
Read Time51 Second
कच्चे धागों का यह रिश्ता,
जमीं-आसमान सा पक्का है।
बहन-भाई की प्रेम कहानी,
जीवन में एक बस सच्चा है।
टूटे ना सांसों से ये धागा,
जबतक जीवन गुलजार रहे।
जब कलाई पे बंधे ये धागा,
लगता कितना अच्छा है।
दूर रहे या रहे पास तुम,
हरदम दुआओं के दौर रहे।
हर एक नादानी पे कहती बहना,
भाई मेरा तो बच्चा है।
जबतक मेरी सांस चले,
ऐ ईश्वर बस इतना देना।
आबाद रहे सभी बहने,
बस इतनी सी ईच्छा है।
कहूँ मैं क्या पावन बंधन का,
इसका क्या मैं मोल करूँ।
बहने ऐसे होती हैं जो,
रिश्ते में लेती नहीं कभी परीक्षा है।
Average Rating
5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%
पसंदीदा साहित्य
-
May 17, 2021
पिया
-
December 11, 2017
श्रीराम जन्मभूमि के पंद्रह सौ गज और 489 वर्ष
-
May 11, 2021
जैसे कर्म के रहे हैं,वैसे ही फल पा रहे हैं
-
November 28, 2018
बदलता इंसान
-
July 3, 2019
शीतल सा जीवन