वो 31 जनवरी की रात याद है न! तेरी मेरी पहली मुलाकात.. मेरा तुझमें खोना, तेरा चुपके से शर्माना तुम्हारे लंबे बालों में गुम होने की तमन्ना, याद है न। वो तीन दिन बाद मेरा तेरा घूमने जाना, कोसी की लहरों के बीच से निकलकर ठंडी हवाओं में तेरा मुझे […]

जिसकी अंगुली थामकर घूमा पूरा संसार, कैसे भूल सकता हूँ मैं पापा का वह प्यार। मेरी हर गलती पर मुझे प्यार से समझाते, मुझे आगे बढ़ाने को हमेशा सही राह दिखाते। मेरी हर जरुरत को वो पूरा कराते, क्या सही है क्या गलत वो मुझे समझाते। ऊपर से है कड़क […]

भगवान से जो माँगा था वो मन्नत हो तुम, इस दुनिया में मेरे लिए तो जन्नत हो तुमl तेरे बिना तो जिंदगी अधूरी-सी लगती है, जिंदगी जीने के लिए मेरी जरुरत हो तुमl तुझे पाकर जिंदगी हो गई  और भी हसीं, इश्क़ के मंदिर में प्यारी-सी मूरत हो तुमl बेझिझक […]

मोहब्बत में ऐसा कुछ काम कर देंगे, तेरे लिए सुबह को भी शाम कर देंगेl दुनिया भी याद करेगी हमारी प्रेम कहानी, अपनी पूरी जिंदगी तेरे नाम कर देंगेl जो भी नज़ररें उठा के देखेगा तेरी तरफ, तेरी कसम उसी वक़्त कत्लेआम कर देंगेl मांगो तो तेरे लिए मेरी जान […]

जिस रास्ते से गुजरती थी वो, वो रास्ता मुझे उसकी याद दिलाता है.. जब भी गुजरता हूं उस रास्ते से, तो उसका चेहरा मेरी आँखों में आता हैl ऐसा लगता है जैसे हम उसके साथ चल रहे हैं, उस वक़्त जो न कह सके थे वो आज कह रहे हैं.. […]

बीत गए दिन जवानी के, मेहनत और क़ुरबानी के.. जब तक था स्वार्थ, तब तक रहे साथ.. अब बेटा नहीं कहता पापा, जब से आया है बुढ़ापा। दिल में एक अरमान था, बेटे पर अभिमान था.. सोचा था बुढ़ापे में, बनेगा मेरा सहारा.. पर मेरी किस्मत ने, ये नहीं स्वीकारा.. […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।