सावन आवन कह गये,धनके लोभ विदेश। प्रीत रीत भूले  सभी , तन मन रहे  कलेश। तन मन रहे कलेश, रात दिन नींद न आवे। लग जाए कहिँ  नैन , रैन  में सपन सतावे। “लाल” पपीहा मोर,शब्द दादुर मन भावन। प्यासी चातक देख, निहारूँ आवन सावन। .        2.  *पावस*. पावस  सावन मास […]

जीत-हार की बात नहीं संघर्ष अभी भी जारी है, तब भी सीता हारी थी तो अब भी सीता हारी है। कैसे कह दूँ रावण हारा बस उसके जल जाने से, बचे हुए हैं कितने रावण कर्मोँ का फल पाने से। कब तब ऐसे रावण को ये देश रहेगा ढोता, काश […]

मन करता है आज विरह का कोई गीत सुनाऊँ मैं, अब तक कोई मिली नहीं तो किसका विरह मनाऊँ मैं। कभी-कभी तो पतझड़ में भी कलिका कोई खिल जाती है, जिसके सपने देखे थे वो सपनों में ही मिल पाती है। मन करता है खुली आँख से उसको आज रिझाऊँ […]

तुम नेहनयन की आशा हो, तुम जीवन की परिभाषा हो। तुम हो देवी गीतों की, तुम देवी प्रीत प्रतीतों की। तुम इन आँखों का पानी हो, तुम बचपन और जवानी हो। तुम ख्वाब बड़ा ही प्यारा हो, तुम सच्चा एक सहारा हो। तुम भूख प्यास में जीती हो, तुम अश्रु […]

जैसे भोर गगन का सूरज,या सागर का हो मोती, यूँ ही मैं कुछ कहता तुमको,अगर सामने तुम होती। कैसे कह दूँ भाल तुम्हारे,सजा नेह का चँदा है, है प्रतीक ये परिणय पल का,और हरीप्रिय वृंदा है। पावन पुण्य प्रथा प्रिय पावन,संस्कार है माटी का, धन्य-धन्य वे माताएं जो,वहन करें परिपाटी […]

कुछ प्रीत जगानी थी मुझको, कुछ रीत निभानी थी मुझको। कुछ ऐसे गीत सुनाने थे, जो महफिल को भी भाने थे॥ कुछ सूरज की अरुणाई के, कुछ तरुणों की तरुणाई के। कुछ देश धरा की माटी के, कुछ भारत की परिपाटी के। कुछ ऐसे नगमे गाने थे’ जो महफिल को […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।