औरत क्या है

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om agraval
तुम नेहनयन की आशा हो,
तुम जीवन की परिभाषा हो।
तुम हो देवी गीतों की,
तुम देवी प्रीत प्रतीतों की।
तुम इन आँखों का पानी हो,
तुम बचपन और जवानी हो।
तुम ख्वाब बड़ा ही प्यारा हो,
तुम सच्चा एक सहारा हो।
तुम भूख प्यास में जीती हो,
तुम अश्रु लहू के पीती हो,
तुम भूखे नंगों की बोली,
तुम पाप निकंदन की होली।
तुम नेह-स्नेह की मलिका हो,
तुम स्वयं सुवासित कलिका हो।
तुम देवी हो अरमानों की,
तुम चाहत हो परवानों की।
तुम दीप पुंज हो ज्योति हो,
तुम सिंधु सुधा का मोती हो।
तुम शिखरों की ऊँचाई हो,
तुम सागर की गहराई हो।
तुम निर्बल की बांहें हो,
तुम मंजिल की राहें हो।
तुम अर्जुन का तीर भी हो,
तुम रांझा की हीर भी हो।
तुम देश-धरा की आशा हो,
तुम समाधान जिज्ञासा हो।
तुम प्यासों का पानी हो,
तुम अनुपम एक कहानी हो।
तुम बच्चों की क्रीड़ा हो,
तुम बूढ़ों की पीड़ा हो।
तुम सत्य कृष्ण की मीरा हो,
तुम सच में सच्चा हीरा हो।
तुम नदी का बहता पानी हो,
तुम ज्ञानी हो-विद्वानी हो।
तुम मलयागिरि का चंदन हो,
तुम सच में ताप निकंदन हो
तुम रूप-रंग की रानी हो,
तुम सच में बड़ी सयानी हो।
तुम भोली हो-तुम भाली हो,
तुम अपने-आप सवाली हो।
तुम सच में बेहद प्यारी हो,
तुम इक अनुपम नारी हो॥
         (……….अंतहीन)
          #ओम अग्रवाल ‘बबुआ’
परिचय: ओमप्रकाश अग्रवाल का साहित्यिक उपनाम ‘बबुआ’ है। मूल तो राजस्थान का झूंझनू जिला और मारवाड़ी वैश्य हैं,परन्तु लगभग ७० वर्षों पूर्व परिवार यू़.पी. के प्रतापगढ़ जिले में आकर बस गया था। आपका जन्म १९६२ में प्रतापगढ़ में और शिक्षा दीक्षा-बी.कॉम. भी वहीं हुई। वर्तमान में मुंबई में स्थाई रूप से सपरिवार निवासरत हैं। संस्कार,परंपरा,नैतिक और मानवीय मूल्यों के प्रति सजग व आस्थावान तथा देश धरा से अपने प्राणों से ज्यादा प्यार है। ४० वर्षों से  लिख रहे हैं। लगभग सभी विधाओं(गीत,ग़ज़ल,दोहा,चौपाई, छंद आदि)में लिखते हैं,परन्तु काव्य सृजन के साहित्यिक व्याकरण की न कभी औपचारिक शिक्षा ली,न ही मात्रा विधान आदि का तकनीकी ज्ञान है।
काव्य आपका शौक है,पेशा नहीं,इसलिए यदा-कदा ही कवि मित्रों के विशेष अनुरोध पर मंचों पर जाते हैं। लगभग २००० से अधिक रचनाएं लिखी होंगी,जिसमें से लगभग ७०० के करीब का शीघ्र ही पाँच खण्डों मे प्रकाशन होगा। स्थानीय स्तर पर ढेरों बार सम्मानित और पुरस्कृत होते रहे हैं।
आजीविका की दृष्टि से बैंगलोर की निजी बड़ी कम्पनी में विपणन प्रबंधक (वरिष्ठ) के पद पर कार्यरत हैं।

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।