तुम निकलती क्यो नही मेरे जहन से,
मै तुम्हे भूलना चाहता हूं,
मै तुमसे इश्क नही, नफरतों का रिस्ता चाहता हूं।
मै बहुत थक गया हूं,
अब मै रोना चाहता हूं जी भर के
तुमसे लिपट कर
मै किसी को कुछ बताने कि स्थिति में नही रहा
मै टूट रहा हूं भीतर से
मुझे प्लीज थाम लो तुम,
अपनी बाहों में,
हां मै जानता हूं कि तुम्हारी जिन्दगी अब मेरे साथ नही है
मगर तुम एक बार किसी मुद्दत से न सोये हुये
इंसा को जहर तो दे सकती हो।
जो मुक्त हो जाये इस प्रेम कहानी से
तुमसे, तुम्हारी यादो से
तुम्हारे हर एक ख्याल से,
तुमसे मुझे कुछ नही चाहिये
बस मौत दे दो मुझे,
मै मुक्त होना चाहता हूं।।
#सतेन्द्र सेन सागर
नाम -सतेन्द्र सेन सागर
साहित्यिक उप नाम- सागर
वर्तमान पता- नई दिल्ली
शिक्षा- बीबीए(मार्केटिंग) , बीए(शास्त्री संगीत)
कार्यक्षैत्र- अर्धसैनिक बल
विधा- मुक्तक, काव्य, दोहा, छंद
सम्मान- साहित्य सागर रचनाकारअन्य उपलब्धिया- आखर नामक काव्य संग्रह मे रचनाए प्रकाशित, देश भर के विभिन्न राज्यो के अखवारो ओर ब्लॉग में रचनाओं का प्रकाशन।
लेखन का उद्देश्य – एक सोच को जन्म देना, प्रेम के प्रति नजरिया बदलाव एवं एक इंकलाबी लेखक बनने का प्रयाश