हमने सोचा नहीं, कब ये जाना नहीं इश्क तुमसे हुआ, हमको क्या हो गया जिंदगानी मेरी, थी बड़ी बेजुबां चांद आँगन में उतरा, जवां हो गया। जो थी अब तक कोई, राजदारी मेरी मुझको तुम जो मिले सब बयां हो गया, तेरी नजर मिली या कयामत हुई, दिल ये मासूम […]

मुझे तजुर्बा नहीं इतना कि, जिंदगी का हिसाब करुं बस जो पल मिल जाते हैं, उन्हें अपना किये जाती हूँ। तुम ढूंढ लो उन किनारों को, जो साहिल से जुड़े न हों तजुर्बेकार बनते हो, गुल से अलग करके देखो सुगन्ध कहाँ ठहरी, सलीकेदार बनते हो। एक अदब-सा है निगाहों […]

कैसे मनाऊं खुशियां, नववर्ष! तेरा मुझसे क्या नाता ? बिलखते भूखे बच्चे रोते, सर्द ठिठुरती माता… सड़कों पर किलकारी सोती लिए सपनों में सन्नाटा, अपमानित होती हर बाला मन जब नोंचा जाता। जर्जर काया मां की बोली पूत क्यों न घर लाता, उदास खड़ा पिता दरवाजे मन को रहा मनाता। […]

दिल बौने हैं सीने में पर, ऊंचा कद पा जाते हैं। फितरत ओछी रखने वाले, ऊंचा पद पा जाते हैं॥ पदवी के चक्कर में खाते, भारत माँ की कसमें ये। सत्ता का सुख भोग लिया तो, तोड़ रहे हैं रस्में ये॥ भारत में हैं नहीं सुरक्षित, अब ये जुमले बन्द […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।