अपने मुँह का दिया निवाला है। माँ ने ऐसे ही मुझको पाला है।। जबसे रक्खा क़दम है धरती पर। मेरी माँ ने मुझे सम्भाला है।। जब मैं चलने लगा था थोड़ा-सा। बाप ने गोद में उछाला है।। मेरी माँ जब भी रोने लगती है। प्यार से हर घड़ी सम्भाला है।। […]

ये नजर, ये नज़ारे.. सबके सब जाने क्यूँ करते हैं इशारे.. बस, एक तरफ। वो अनजान, वो बेखबर.. बैठे हैं न जाने, नादान हैं.. या बने बैठे हैं। हम, ये सब सोचकर.. तने बैठे हैं।                               […]

एक औरत गर्भ से थी, पति को जब पता लगा.. कि कोख में बेटी है तो, वो उसका गर्भपात करवाना चाहते हैं। दुःखी होकर पत्नी पति से क्या कहती है- सुनो, न मारो इस नन्हीं कली को, वो खूब सारा प्यार हम पर लुटाएगी.. जितने भी टूटे हैं सपने, फिर […]

जीवन के कोरे कागज पर,कर्मों की गाथा लिख दे, विस्तृत नील गगन पर,सफलता की परिभाषा लिख दे। शिखर ये सफलता का,कर रहा तेरा आव्हान, विपत्तियों से लड़कर,बन कुशल-दिव्य-ज्योति-नूतन। अब तोड़ अपनी निद्रा को,मन की अभिलाषा लिख दे, विस्तृत नील गगन पर,सफलता की परिभाषा लिख दे। तू कायर है तो हार […]

भारत मेरा न्यारा है, ये प्राणों से भी प्यारा है.. तन मन धन मैं तो, यहीं वार जाऊंगा। भिड़े जो भी दुशमन, देशी या विदेशी जन.. कविता की मार दूंगा, शब्द धार लाऊंगा। स्वर्ण चिड़ी का बसेरा, विश्व गुरु देश मेरा.. मैं रक्षा की खातिर, आकाश पार जाउंगा। संस्कृति है […]

सोने से पहले लिखा गया मेरा वो आखिरी शेर ; एक पूरे सादे कागज पर तुम्हारे नाम का शेर.. रात भर देता रहा आवाजें। और वहीं पड़ी एक कलम थी, कोशिश करती रही जो खुद-ब-खुद लिख जाने की। मैं सोया था, बिस्तर पर एक किनारे, और जो बह रहा था […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।