भारत मेरा न्यारा है,
ये प्राणों से भी प्यारा है..
तन मन धन मैं तो,
यहीं वार जाऊंगा।
भिड़े जो भी दुशमन,
देशी या विदेशी जन..
कविता की मार दूंगा,
शब्द धार लाऊंगा।
स्वर्ण चिड़ी का बसेरा,
विश्व गुरु देश मेरा..
मैं रक्षा की खातिर,
आकाश पार जाउंगा।
संस्कृति है प्रबुद्ध,
महान गौतम बुद्ध..
एसी वीर धरती पे,
जिस्म हार जाऊंगा।
#कृष्ण कुमार सैनी ‘राज’
परिचय : मंच संचालन के शौकीन और माहिर कृष्ण कुमार सैनी ‘राज’ ने एमए(राजनीति विज्ञान) और बीएसटीसी(जयपुर) की शिक्षा हासिल की है।२२ वर्ष के कृष्ण पिता कन्हैयालाल सैनी फूलों का व्यवसाय करते हैं। दौसा (जिला दौसा, राजस्थान) में रहने वाले कृष्ण की रुचि कविता,गजल,गीत,शायरी, मुक्तक,व्यंग्य लिखने में है।आपको भजन-कीर्तन सुनने का शौक है। इनकी साहित्यिक उपलब्धियों में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में काव्य पाठ करने का और सम्मानित होने का सौभाग्य है तो ही, दौसा (राजस्थान) में हुए कवि सम्मेलन में भी काव्य पाठ कर लिया है। कई कवि सम्मेलन में काव्यपाठ एवं चंचरीक स्मृति सम्मान से सम्मानित हो चुके हैं।