अपने मुँह का दिया निवाला है।
माँ ने ऐसे ही मुझको पाला है।।
जबसे रक्खा क़दम है धरती पर।
मेरी माँ ने मुझे सम्भाला है।।
जब मैं चलने लगा था थोड़ा-सा।
बाप ने गोद में उछाला है।।
मेरी माँ जब भी रोने लगती है।
प्यार से हर घड़ी सम्भाला है।।
माँ की ममता से कुछ नहीं बढ़कर।
‘राज़’ सबको बता ये डाला है।।
#कृष्ण कुमार सैनी ‘राज’
परिचय : मंच संचालन के शौकीन और माहिर कृष्ण कुमार सैनी ‘राज’ ने एमए(राजनीति विज्ञान) और बीएसटीसी(जयपुर) की शिक्षा हासिल की है।२२ वर्ष के कृष्ण पिता कन्हैयालाल सैनी फूलों का व्यवसाय करते हैं। दौसा (जिला दौसा, राजस्थान) में रहने वाले कृष्ण की रुचि कविता,गजल,गीत,शायरी, मुक्तक,व्यंग्य लिखने में है।आपको भजन-कीर्तन सुनने का शौक है। इनकी साहित्यिक उपलब्धियों में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में काव्य पाठ करने का और सम्मानित होने का सौभाग्य है तो ही, दौसा (राजस्थान) में हुए कवि सम्मेलन में भी काव्य पाठ कर लिया है। कई कवि सम्मेलन में काव्यपाठ एवं चंचरीक स्मृति सम्मान से सम्मानित हो चुके हैं।