माना की दिल लगी है, मेरी आप से जनाब ! पर प्यार शुरू हो रहा है इसका ये मतलब नहीं यार  ! तुम दिल में कभी आते और कभी भी जाते हो जनाब , पर दिल तो मेरा दुखता है लो जान लो जनाब !! क्या करते हो कमल, आप […]

विश्व के अधिकांश राष्ट्रों की कोई एक राष्ट्रभाषा है, भारत की नहीं। मजे की बात यह है कि भारत के अधिकांश लोगों को यह तथ्य पता नहीं है कि भारत की कोई राष्ट्रभाषा नहीं है। जब हम लोगों से पूछते हैं कि भारत की राष्ट्रभाषा कौन सी है तो अच्छे […]

जब भी मैं भारत बने भारत अभियान का प्रस्तुतीकरण करती हूँ, जब मैं कहती हूं कि अपने देश के लिए सिर्फ एक ही नाम प्रचलित हो “भारत” तो जो हृदय से भारतीय हैं वे इसे सहर्ष स्वीकार करते हैं बिना किसी कुतर्क के पर हजारों में कोई एक सिरफिरा इंडियन […]

कुछ हम सोचते है खुद के लिए, और कुछ और ही हो जाता है/ दिल किसी पर आता है, और दिमाग कही और ही चला जाता है / प्यार करने का तेरा अंदाज ही निराला है , जब याद तुझ को करते है / तो तू ना जाने कहाँ पर […]

माँ बाप का परम कर्तव्य बनता है की वो अपने बच्चो को सही तालीम के साथ संस्कार और ज्ञान दे, ताकि आने वाले समय में उन्हें अपने पैरो पर खड़ा होने के लिए कोई परेशानियो का सामना न करना पड़े /दोस्तों आज की शिक्षा व्यवस्था हमारी आने वाली पीढ़ी को […]

आज का विषय बहुत ही संवेदनशील है / जिसकी आज हर परिवारों को बहुत ही जरूरत है / की आप कैसे सच्चे और अच्छे माता पिता बने/ जिससे आपके परिवार का वातावरण आपके घर के अनुकूल रहे / पुत्र नाटक में जाए, सिनेमा में जाए, गलत रास्ते पर चल पडे,भक्ष्य-अभक्ष्य […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।