जब भी मैं भारत बने भारत अभियान का प्रस्तुतीकरण करती हूँ, जब मैं कहती हूं कि अपने देश के लिए सिर्फ एक ही नाम प्रचलित हो “भारत” तो जो हृदय से भारतीय हैं वे इसे सहर्ष स्वीकार करते हैं बिना किसी कुतर्क के पर हजारों में कोई एक सिरफिरा इंडियन जरूर यह सवाल करता है कि क्यों, भारत ही क्यों?
आजकल पूरे देश में
बदलने की पहल हो रही है। यह पहल प्रबुद्ध लोगों की आलोचना का शिकार भी हो रही है। ऐसे लोगों के सवाल का जवाब देने की बजाय मैं उनसे पूछना चाहती हूं कि क्यों ना बदलें?
क्या कोई भी व्यक्ति अपने जीवन के बुरे दिनों को याद रखना चाहता है?
क्या दुर्घटनाओं की तस्वीरों से घर सजाए जाते हैं?
क्या बुरे सपनों को बार-बार स्मरण किया जाता है?
इस विषय पर मेरा बहुत स्पष्ट मत है कि यदि कोई शहर मूलतः मुगलों या अंग्रेजों द्वारा बसाया गया हो तो उनके द्वारा दिया गया नाम यथावत रहना चाहिए लेकिन यदि उन्होंने अपने शासनकाल में हमारे प्राचीन समृद्ध, गौरवशाली इतिहास को मिटाने के लिए भारतीय भाषाओं में प्रचलित पुराने नामों को मिटाकर अपने नाम स्थापित किए हों तो आज वे अवश्य ही बदले जाने चाहिए। हमें हक है कि आक्रांताओं द्वारा रौंदे गए समृद्ध, गौरवशाली इतिहास को पुनः उजागर और पुनर्स्थापित करें।
#विजयलक्ष्मी जैन