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इस तरह कभी तुमने सांझ को ढलते देखा है। दूर कहीं आसमां के तले जिंदगी को मिलते देखा है॥ चेहरे की झुर्रियाँ बताती हैं हमें कि उम्र को रफ्ता-रफ्ता ढलते देखा है। कचनार की शाखों से पूछो तो जरा, उसने कभी गुंचों को टूटते देखा है॥ उस वक्त वो था […]

स्वतंत्र-संस्थानों के कानून- वारांगणानों के हाव भाव- दोनों में है कितनी समानता- कितना मिलाव। चाँदी की चमक के माप पर बदलते भाव,वारा-कन्याओं के- मालिकों के लाभ-हानि के माप पर, बदलते कानून-स्वतंत्र संस्थाओं के। ज्यों हो कोई संगीत कुर्सी का खेल- रुक जाता है संगीत, बजते-बजते। खिलाड़ी हो जाते विवश- चलते-चलते। […]

झूठ ऐसे न बोलो,लोग सब जान लेंगे, बात दिल की जो ठहरी,निगाह पहचान लेंगे। लाख कोशिश करो तुम मुहब्बत न छुपेगी, लोग हर एक घड़ी पर तेरा इम्तिहान लेंगे। ढूंढ लेंगे जहाँ में कमी तेरी भी कोई, बाद में ये बेगाने तेरी ही जान लेंगे। हो सके तो तुम मानो […]

देखो जरा हथेली अपनी, उसमें हल्की-सी लकीर हमारी भी…॥ मत होना परेशान कभी, मेरी किस्मत की लकीरों में नाम तुम्हारा शामिल है…॥ देखो जरा हथेली अपनी, उसमें बसी तकदीर हमारी। मिलना-बिछड़ना खोना-पाना, यह खेल बेशक नियति का इसी नियति में चुना तुझको, देखो मेरी किस्मत में॥ कितनी भी हम कोशिश […]

प्यार किया है दोनों ने,पर सरहद की मजबूरी है, दो दिलों के बीच में देखो,दो देशों की दूरी है। मिलन बड़ा मुश्किल है उनका दोनों खूब समझते हैं, तड़पते रहते रातों-दिन छुप-छुप आहें भरते हैं। बड़ा कठिन है जीवन उनका ख्वाहिश सभी अधूरी है। दो दिलों….॥ दुश्मनी है दोनों देशों […]

कुछ रोशनी के छींटे आए नजर उधर से। कोई गांव जल गया,लगता है एक पहर से॥ कुछ खुशबू भी है, सौंधी-सौंधी मिट्टी और राख की। उबला हो जैसे आलू,बटुए में हल्के-हल्के॥ अंगड़ाईयां है, लेती मेरे मन की यह दीवारें। शर्मा जाती है घासों की ये लम्बी कतारें॥ जब फूंकती हवा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।