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झूठ ऐसे न बोलो,लोग सब जान लेंगे,
बात दिल की जो ठहरी,निगाह पहचान लेंगे।
लाख कोशिश करो तुम मुहब्बत न छुपेगी,
लोग हर एक घड़ी पर तेरा इम्तिहान लेंगे।
ढूंढ लेंगे जहाँ में कमी तेरी भी कोई,
बाद में ये बेगाने तेरी ही जान लेंगे।
हो सके तो तुम मानो बात इतनी-सी मेरी,
कसम खाकर ये कह दो,न तेरा नाम लेंगे।
इश्क का है दुश्मन ‘सार्थक’ सारा जमाना,
प्रेम के पंक्षियों की बस ये मुस्कान लेंगे॥
#संजीव श्रीवास्तव ‘सार्थक’
परिचय: संजीव श्रीवास्तव ‘सार्थक’ की जन्मस्थली-पुखरायां (कानपुर देहात) एवं जन्मतिथि- १३ अप्रैल १९७४ है। आपका निवास शहर-पुखरायां(राज्य उत्तरप्रदेश)है। मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा आपकी शिक्षा व कार्यक्षेत्र-शिक्षक(प्रावधिक शिक्षा,उत्तरप्रदेश) है। लेखन में आपकी विधा-गीत,ग़ज़ल और मुक्तक है। लेखन का उद्देश्य-साहित्य अभिरुचि और शौकियाना है।
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