मर्यादा की सीताओं का,करते रोज हरण। राम नाम का चोला धारे,घूम रहे रावण॥ उन्मादी वैचारिकता के,साथ खडे़ दिखते। नीति नियंता उन्मादों की,कथा स्वयं लिखते। भाईचारे की धरती पर,छेड़ रहे हैं रण…। राम नाम का चोला धारे, घूम रहे रावण…॥ धर्म नाम पर भाईचारे,के आँगन बाँटे। चंदन वन को आग लगाकर,बो […]

उतरेंगे केवल वही,भवसागर के पार। जीवन भर थामे रहे,जो सत की पतवार॥ अंतस में होते सदा,वे जन ही आसीन। मानव सेवा में रहे,जो श्रृद्धा से लीन॥ बदल सका है कौन कब,नियत समय की चाल। विधिना ने जो लिख दिया,होता है हर हाल॥ लोग वही पाते सदा,जग में अलग मुकाम। ओरों […]

जीवन के अनजाने पथ पर,उम्मीदों की गठरी लादे। हर कोई बस ढूँढ रहा है,अपने सपनों की मंजिल को॥ जीवन के अथाह सागर से तर जाने की चाह लिए सब। तूफानों से टकराते हैं घर जाने की चाह लिए सब॥ लेकिन कहाँ सभी पाते हैं,बाधाएँ तर कर साहिल को…, हर कोई […]

सर्व कल्याण की कामना कीजिए, खुश रहें सब सदा ये दुआ कीजिए। मुश्किलें राह में हों हज़ारों मगर, फ़र्ज अपना हमेशा अदा कीजिए॥ पास हो आप तो पास है ज़िन्दगी, वाह क्या खूब अहसास है ज़िन्दगी। आपने हाथ थामा हमें यूँ लगा, खास है खास है खास है ज़िन्दगी॥ दिल […]

जो कहे बात दिल की सुना कीजिए, नित नया ख्वाब कोई बुना कीजिए। ये जहां क्या कहेगा इसे सोचकर, आप मन को नहीं अनमना कीजिए॥ मुश्किलों का सदा सामना कीजिए, बेतुकी बात हो तो मना कीजिए। चाहते हो अगर ज़िन्दगी में खुशी, सब सुखी हों यही कामना कीजिए॥ आप दिल […]

करते हैं व्यवहार जो,आशा के विपरीत। खो देते हैं एक दिन,वे अपनों की प्रीत॥ सिर्फ वही विद्वान है,जिसको है ये ज्ञात। कौन समय पर कौन-सी,उचित रहेगी बात॥ घर आए महमान का,जो करता अपमान। क्या उसका साहित्य है,वो कैसा विद्वान॥ बस उनके वक्तव्य ही,होते हैं अनमोल। समय परख कर बोलते,हैं जो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।