मर्यादा की सीताओं का,करते रोज हरण। राम नाम का चोला धारे,घूम रहे रावण॥ उन्मादी वैचारिकता के,साथ खडे़ दिखते। नीति नियंता उन्मादों की,कथा स्वयं लिखते। भाईचारे की धरती पर,छेड़ रहे हैं रण…। राम नाम का चोला धारे, घूम रहे रावण…॥ धर्म नाम पर भाईचारे,के आँगन बाँटे। चंदन वन को आग लगाकर,बो […]