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सर्व कल्याण की कामना कीजिए,
खुश रहें सब सदा ये दुआ कीजिए।
मुश्किलें राह में हों हज़ारों मगर,
फ़र्ज अपना हमेशा अदा कीजिए॥
पास हो आप तो पास है ज़िन्दगी,
वाह क्या खूब अहसास है ज़िन्दगी।
आपने हाथ थामा हमें यूँ लगा,
खास है खास है खास है ज़िन्दगी॥
दिल किसी का दुखाना नहीं चाहिए,
प्यार करके भुलाना नहीं चाहिए।
प्यार है तो भरोसा करो प्यार पर,
प्यार को आजमाना नहीं चाहिए॥
तम घना है वफ़ा का उजाला करो,
दोस्तों को भँवर से निकाला करो।
फ़र्ज अपना यही है निभाओ सदा,
राह में जो गिरे हैं सम्हाला करो॥
#सतीश बंसल
परिचय : सतीश बंसल देहरादून (उत्तराखंड) से हैं। आपकी जन्म तिथि २ सितम्बर १९६८ है।प्रकाशित पुस्तकों में ‘गुनगुनाने लगीं खामोशियाँ (कविता संग्रह)’,’कवि नहीं हूँ मैं(क.सं.)’,’चलो गुनगुनाएं (गीत संग्रह)’ तथा ‘संस्कार के दीप( दोहा संग्रह)’आदि हैं। विभिन्न विधाओं में ७ पुस्तकें प्रकाशन प्रक्रिया में हैं। आपको साहित्य सागर सम्मान २०१६ सहारनपुर तथा रचनाकार सम्मान २०१५ आदि मिले हैं। देहरादून के पंडितवाडी में रहने वाले श्री बंसल की शिक्षा स्नातक है। निजी संस्थान में आप प्रबंधक के रुप में कार्यरत हैं।
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