कोई पागल समझता है,  कोई नादाँ कहता है। तेरे प्यार में जानम, क्या क्या सुनना पड़ता है। ज़माने के लोगो को, कुछ भी कहना होता है।  कोई पागल समझता है,  कोई दीवाना कहता है।। झुकाकर पलके अपनी,  सलाम तुम को करते है।  दुआ दिल कि बस हम,  तुम्हारे नाम करते […]

भारत के हित में देश के भाषा प्रेमियों को अपने-अपने आग्रह छोड़ देना चाहिए क्योंकि अंग्रेजों की “फूट डालो राज करो” की नीति का यही एकमात्र तोड़ है और यही न्यायपूर्ण भी है। हिन्दी शक्तिशाली भाषा है क्योंकि वह देश के बहुसंख्यक वर्ग की भाषा है। पूरे भारत में उसके […]

आपके प्यार भरे दो शब्द, हमे एक नई ऊर्जा देते है। तभी तो हम कुछ अच्छा, और सार्थक लिख जाते है।। दिन निकल जाते है इसी तरह से, आपकी बातो का दिल में एहसास करके। की कोई तो है जो अपना समझता है , और अपने दिल के करीब हमे […]

क्या उसने कहाँ मेरे से, और मैने उसे क्या कहाँ। क्यों सुनने को बेताव है, मेरे मुंह से क्यों वो।। ये शहर कोई नया नही, मेरे आने जाने के लिए। मिलता रहा जहां प्यार, वहां हम आते जाते रहे।। अब तुम ही बता दो मुझे, की क्या कुछ हम कहे। […]

बेटियो कि मत करो, लोगो अब उपेक्षा। परिवार कि जान-शान, होती है बेटियां। घर में खुशाली लेकर, आती है बेटियां। संस्कारो के बीज, बोती है बेटियां। बेटा अगर हीरा है, तो मोती है बेटियां। नरम-गरम स्वभाव कि, होती है बेटियां। हर कार्य में निपुर, होती है बेटियां। माँ बाप का […]

दिये तो बहुत थे पर, जल कुछ और रहा था। अंधरे में रोशनी, वो ही कर रहा था। अब कैसे पता करे हम? जिक्र जब भी उनका, करते अपने दिल मे। याद कुछ और ही, दिला देता ये दिल । अब क्या कहोगे इसे, तुम कुछ तो बता दो। बात […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।