कब तक खून चढ़ेगा यारों, नक्सलवाद की रोटी पर। क्यों नहीं आग लगा देते तुम,इनकी अब लँगोटी पर।। सुकमा पूरा दहल गया है,नक्सल दहशतगर्दी में। आग लगाई जा रही है,चौराहे पर वर्दी में।। एक सर्जिकल करके तुम,पूरी दुनिया में घूम रहे। घर की आग बुझाओ पहले,किस मस्ती में झूम रहे।। […]

  जवां हर  दिल की  कहानी लिखूँगा, तुम्हें  रोज  अपनी  मैं रानी लिखूँगा।   कभी मिट न पाए मुहब्बत ये’ अपनी, सनम चांद  पर  मैं  निशानी लिखूँगा।   ग़ज़ल बन लबों पर चली तुम यूँ’ आओ, बहर में सनम  फिर  जवानी लिखूँगा।   बहकने लगा हूँ  छुआ जब से’ तुमने, […]

टूटकर फिर उगते दरख़्त। उग कर फिर टूटते दरख़्त।। हर मुश्किल से जूझते दरख़्त। आसमां को चूमते दरख़्त।। सर उठाए  झूमते दरख़्त। सर झुकाए जमीं को चूमते दरख़्त।। ज़मीन को न छोड़ते दरख़्त। नहीं किसी को ढूंढते दरख़्त।।   नहीं किसी को छोड़ते दरख़्त। चाहतों की छांव से लुभाते दरख़्त।। […]

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खो सा गया वो दुनिया के मेले में, पास था कितना अपने वो अकेले में। भुलाकर वो खुद को खुद, पड़ा वो दुनिया के झमेले में। क्यों है तन्हा तू अब भी,संग दुनिया, रहकर भी सोचता है वो अकेले में। इससे बेहतर तो तू तब था जब तू, खोया था […]

कभी दिल में तुम्हारे सब, कभी दिल में हमारे सब, मुहब्बत में सनम दिखते हैं,अब बंजर नज़ारे सब। गई हो छोड़ के जब से,यहाँ मातम-सा मंजर है, कि अब रोती हैं रातों को,मेरे घर की दीवारें सब। कभी मिलना-मिलाना था,जहाँ यारों सुनो अपना, तड़पते खूब हैं हरपल,वहाँ साहिल किनारे सब। […]

धीर बनो गम्भीर बनो, सागर का तुम नीर बनो। लुटती हो मर्यादाएं जब-जब, द्रोपदी का तुम चीर बनो। देनी हो प्रेम-प्यार की परिभाषा, तब-तब राधा की पीर बनो। आते सुख-दुःख जब-जब, तब दुःख को भी अपना लो.. सुख की न तुम जागीर बनो। पीकर गरल हलाहल सारा, अमृत की तुम […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।