बैठ जाता हूँ   अक्सर थक हार कर जब चला न जाये तो पैर  पसार कर रुकने का मतलब ये नहीं की हम डर गए काँटों पर चल कर पहुँचते है मंजिल के उस पार और तभी होती है  जग में जय जयकार चाह मोतियों की सागर में उतरा कई बार मिले हो रतन […]

उल्फतों में गुजरने से सच्चे दिलदार मिल जाते है, बंद हो  रास्ता  तो फिर लाख मददगार मिल जाते है. टूट जाते हैं रोज अम्बर के तारे  बहुत   से मगर, रोशन करने  आसमा  को नए सितारे आ  मिल जाते है. किसी को मिलता है  प्यार उसका  या न सही, किस्से सोनी महिवाल के सुनाने लोग आ जाते हैं. डाली का […]

गर जीवन में आज छाई है बहार, तो पिता ही है इस मूल का आधार. उंगली पकड़ चलना है सिखाया, पर कंभी न छोड़ा हमें बीच मझधार. माँ सुनाए लोरी रात लाख मगर, तर्ज पर पिता का भी है अधिकार. ज्ञान अक्षरों का हमें कराया, कभी न जताया इसका आभार. […]

दो पल की जिंदगी उधार दे दो, उधर सासों का एतबार कर लो, जन्म भर का साथ न सही दो पल में उम्र भर का प्यार दे दो. कैसे कटेगी ये उम्र तेरे बिन, याद आएगी तेरी हर दिन, यादों की बारात न सही एक घडी में यादों के किस्से […]

ख़त्म कर इन फासलो को कब हम इतने करीब आयेंगे हवा भी गुजरने की ले इजाजत हमारे दर्मियां ऐसे दिन कब आयेंगे समर्पण से भरी होगी हमारी कहानी, ज़माना जाने हमारे इश्क़ को, ऐसे दिन कब आयेंगे तू है सिर्फ मेरा इस बात का इल्म है मुझे, बुझेगी तुझे पाने […]

भावना के रंगों से  बनी मेरे इश्क की   तस्वीर हो तुम, देखा जिसको पूरी रात वो हसीन ख़्वाब हो तुम, गाते हैं  गुनगुनाते हैं  जिसको तेरे साथ मेरे इश्क़ को बयां   करती आवाज़ हो तुम, मेरे इश्क की   तस्वीर हो तुम. तेरी नज़रों में दिखता सदा मेरे लिए  प्यार, डर भी था हमें ज़माने का फिर भी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।