मैं बदकिस्मत जलियांवाला बाग हूँ। शहीदों के लहू से सींचा गया हूँ, निर्दोषों के चित्कार से गुंजित हुआ हूँ, मैं बदकिस्मत जलियांवाला बाग हूँ। कई माँ, बहन और पत्नी से अपमानित हूँ, जनरल डायर की गोलियों से छलनी हूँ, मैं बदकिस्मत जलियांवाला बाग हूँ। चहुँ ओर से जलकर धुआँ हुआ […]

कला जो कानून हो गया। मानवता का ख़ून हो गया। वहशी खेल दरिंदों का वो। सपना चकनाचूर हो गया। बिछड़ गए अपनों से अपने। धूल हुए आँखें के सपने। फिर भी अड़े रहे परवाने। आग भरी राखों के तप ने। मिट्टी का रंग लाल मिलेगा। गोरों का जंजाल मिलेगा। जीवन […]

बैसाखी के जश्न में क्यूँ ये दहशत खलल की है! आज भी नन्हे चेहरों की मुस्कान बेदखल–सी है।। ये वजूद मेरे भारत का सदियों याद किया जायेगा, नम अश्रु नयन से जलियांवाला कांड सदा रुलायेगा।। चल दिये कारवां लेकर शामिल होने बाग में, क्या पता था अंग्रेज़ी साज़िश बिछी है […]

हिन्दी लेख माला के अंतर्गत डॉ. वेदप्रताप वैदिक हिन्दी को लेकर तमिलनाडू में फिर बवाल मच सकता है। केरल तथा कुछ अन्य प्रांतों में उनके राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों में पहले से भिड़ंत हो रही है। उस भिड़ंत का मुद्दा है— विश्वविद्यालयों के उप-कुलपतियों की नियुक्ति लेकिन तमिलनाडू में मुद्दा यह […]

हिन्दी लेख माला के अंतर्गतडॉ. वेदप्रताप वैदिक भारत में शिक्षा और चिकित्सा की जितनी दुर्दशा है, उतनी तो कुछ पड़ोसी देशों में भी नहीं है। ये दो क्षेत्र ऐसे हैं, जिनमें यदि भारत सरकार जमकर पैसा लगाए और ध्यान दे तो भारत दुनिया के विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में अगले […]

गणतंत्र दिवस का करते हैं हम गुणगान, लहू बहाकर जिसने दी हमें आज़ादी। करते हैं हम उन्हें शत्-शत् नमन। क्या करेंगे हम उनकी महिमा का गुणगान।। वो तो थे हज़ारों-लाखों में महान। ऐसे वीर सपूतों को करते हैं हम प्रणाम।। उन माताओं के सामने झुकाते हैं सिर अपना। जिन्होंने दिया इस देश […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।