नारी जग को धारती, धरती का प्रतिरूप। पावन निर्मल सजल है,गंगा यमुन स्वरूप। गंगा यमुन स्वरूप, सभी को जीवन देती। होती चतुर सुजान,अभाव सभी सह लेती। कहे लाल कविराय, मनुज की है महतारी। बेटी .बहू समान , समझ लो दैवी नारी। . *2* नारी सभी घर लक्ष्मी ,घर दर पालनहार। भव […]