नारी जग को धारती, धरती का प्रतिरूप। पावन निर्मल सजल है,गंगा यमुन स्वरूप। गंगा  यमुन स्वरूप, सभी को जीवन देती। होती चतुर सुजान,अभाव सभी सह लेती। कहे लाल कविराय, मनुज की है महतारी। बेटी .बहू  समान , समझ  लो  दैवी  नारी। .               *2*  नारी सभी घर लक्ष्मी ,घर दर पालनहार। भव […]

1. धरा सनातन बस रहे,प्राणी विविध प्रकार । पर्यावरण  स्वच्छ  रहे, पेड़  लगा विस्तार।। 2. धरती पर जल थल हवा,सभी सजे आबाद। पर्यावरण  सनातनी ,रहे  नहीं  क्यों  याद।। 3. ईश,प्रकृति,मर्त्य रची, ये सब ले पहचान। समझो भाव विवेक से ,पर्यावरण समान।। 4. नित निमित्त स्व विकास के,रचते हैं इतिहास। बहका […]

1. बेटी  घर  की  लाडली, माँ बापू  को चैन। दिनकर छाया धूप जिमि, तारा छाई  रैन। 2. बेटी घर की लिच्छमी ,सरस्वती को रूप। नव दुर्गा का भेष या, जमना  गंग सरूप। 3. बेटी  घर  की देहरी ,  दादा दादी  साथ। प्रात नमन दोपहरिया,संध्या बाती हाथ। 4. बेटी  घर  की  […]

1. पृथ्वी पर चहुँ ओर है,सबहि आवरण सोय। पर्यावरण कहत उसे, मीत सुनो सब  कोय।। 2. क्षितिजलपावक है गगन,बहती साफ समीर। पर्यावरण  वही  बनत, जीवन  और  शरीर।। 3. पेड़ और वन बाग से , बिगड़े नहि ये साज। शुद्ध रहे पर्यावरण, करलो सब अस काज।। 4. खेत-खार  मैदान में , […]

सखि अब सावन बारह मास। पर कहाँ?सावन सा हुलास। । नयन सरिता बह रही रोके नहीं रुक रही कटते नहीं निशि बासर मन की अकुलाहट बढ रही नजरें फिरती उदास ।            सखि……। यह रिमझिम और फुहार कुंजन की सुखद बयार बिखरा कुसुमों का सौरभ भ्रमरों […]

1. *पर्यावरणहिं* मान सब,धरा और असमान। धरती के  चारो  दिशा, बने बनाव  अमान।। 2. पंच तत्व *पर्यावरण*,क्षिति जल गगन समीर। पावक  मय  संसार सब ,समझे   सोई  धीर।। 3. जीवन धन *पर्यावरण* पेड़ और सब वन्य। जंगल बिन मंगल नहीं, मानव हो कर्मन्य।। 4. स्वच्छ रहे  *पर्यावरण* तभी सिरजते प्रान। सजग […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।