*पर्यावरण पच्चीसी* 

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babulal sharma

1.🌜🌛
पृथ्वी पर चहुँ ओर है,सबहि आवरण सोय।
पर्यावरण कहत उसे, मीत सुनो सब  कोय।।
2.🌜🌛
क्षितिजलपावक है गगन,बहती साफ समीर।
पर्यावरण  वही  बनत, जीवन  और  शरीर।।
3.🌜🌛
पेड़ और वन बाग से , बिगड़े नहि ये साज।
शुद्ध रहे पर्यावरण, करलो सब अस काज।।
4.🌜🌛
खेत-खार  मैदान में , मन्दिर  पेड़  लगाव।
पर्यावरण सुधार कर,प्राण वायु सब पाव।।
5.🌜🌛
प्रिये पेड़  है पूत  सम , करलो रक्षण आज।
पर्यावरण बचाइ लौ, कर जंगल सिर ताज।।
6.🌜🌛
सिर के बदले पेड़ है , यही पुरानी  रीत।
पर्यावरण सुधार की,सुनो कहानी मीत।।
7.🌜🌛
बरगद है सौ पूत सम,लम्बी आयु जहान।
पर्यावरण जहाँ बसे , सच्चा साथी  मान।।
8.🌜🌛
पीपल विष्णु बसे जहाँ,प्राण पवन भरपूर।
पर्यावरण  बने  वहीं,  पावनता  का   नूर।।
9.🌜🌛
नीम निरोगी तन रखे,शत रोगी उपचार।
पर्यावरण समेत पशु,चारा वन आधार।।
10.🌜🌛
जीवन देती खेजड़ी,फल पत्ते वन छाँव।
पर्यावरणी संतुलन , रखती अंगद पाँव।।
11.🌜🌛
फल का राजा आम्र है,छाँया की भरमार।
पर्यावरण  सम्भलता, कोयल गाती डार।।
12.🌜🌛
वीर  बड़ा  बंबूल है, लकड़ी पात्  समूल।
पर्यावरण सहाय है,निज रक्षा हित शूल।।
13.🌜🌛
शीशम सुन्दर सागवां,गहरी शीतल छाँय।
प्रहरी बन बैठे यहाँ,सिंह कपि संग गाय।।
14.🌜🌛
जम्बू गुणकारी बने,मधु हारी  मय अंग।
खाँसी संग अजीर्ण में, पर्यावरणी संग।।
15.🌜🌛
सच्चेे मीत बनाइ के,वृक्ष लगाय अनेक।
पर्यावरण  सँवारना , भाव जगाएँ नेक।।
16.🌜🌛
पालन पोषण सब करो,मधुर भाव हरियाय।
एक  एक  पौधा  बने , पर्यावरण  सहाय।।
17.🌜🌛
यौवन छाँया वृक्ष दे , मीठे फल रस दार।
चिड़िया मैना कूक ते , पर्यावरण बहार।।
18.🌜🌛
सुन्दर नीड़,बसेर में , पंछी कलरव तान।
मिले प्राण वायू हमें, मुख में हो मुस्कान।।
19.🌜🌛
वृद्ध अवस्था  दौर में , सोच कहाँ है ठौर।
पर्यावरण बिना यहाँ,नहीं मीत तरु और।।
20.🌜🌛
मन के सारे भाव में,सुख-दुख पीड़ा तोल।
पर्यावरण सुधार कर,मन की आँखे खोल।।
21.🌜🌛
जिन बाहों में जान है,आज तुम्हारे साथ।
पौधा  बनता  पेड़ है , संग तुम्हारे  हाथ।।
22.🌜🌛
पौधा लाओ एक तुम,खेत मेड़ लग जाय।
आओ बन्धु  साथ में,  पर्यावरण  बचाँय।।
23.🌜🌛
गैस बुरी है कार्बन , अवश् प्रदूषण लाय।
पर्यावरण जहर घुले ,धूम मेघ बन आय।।
24.🌜🌛
धरा प्रदूषित  संग में,जल भी गन्दा होय।
पर्यावरण सन् शत्रुता ,रक्षा कर अब कोय।।
25.🌜🌛
स्वच्छ रखें जलस्रोत तो,मिलता जीवनदान।
दोहन ज्यादा ना  करो , पर्यावरण  सुजान।।

नाम- बाबू लाल शर्मा 
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः

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