मिली है मुझको, अभी हाल में खुशी। कैसे में बताऊँ, अपने मित्रों को। मुझे क्या मिल गया हैं, अपने जिंदगी में। मेरा विछाड़ा हुआ मित्र, आज मिल गया मुझको।। देखा करते थे सपने, हम दोनों मिलकर। छुएंगे आसमान को, हम दोनों मिलकर। पर सपना तब टूट गया, जब हम दोनों […]

दशकों से हिन्दी भाषा के स्वाभिमान, स्थायित्व और जनभाषा के तौर पर स्वीकार्यता का संघर्ष जारी है। उन्नीसवीं शताब्दी में भारत में भावनात्मक क्रांति का शंखनाद हो चुका था। उस समय भारत की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थिति अत्यन्त दयनीय हो चुकी थी। देश में होने वाले आन्दोलनों से जन-जीवन […]

दिया तुम को मैंने, अपना तन मन धन। पर दे न सके हम, तुम्हें दिल अपना। करे तो क्या करे हम अब तुम ही बतलाओ। तुम्हारा दिल हमारा दिल, अब दोनों मिल जाये।। कसम से हम तुमको, बहुत चाहते हैं। तुम्हारी हर अदाको, पसंद भी करते हैं। पर फिर भी […]

तेरी दिल लगी का, क्या में सिला दू। तुम्हें है खबर की, मुझ पर क्या बीत रही है। कुछ तो हुआ है, तुमको और मुझको। पर हम ये बात कहाँ किससे। कुछ ख़्बायो में गया, कुछ रातों में गया। और कुछ पहले तुमके, चक्कर में दिन निकल गया। पर अब […]

गीत लिखता हूँ मैं, और गाता हूँ मैं। मेरी कल्पना हो तुम, मेरा आधार तुम। तुमको देखकर ही मैं लिखता हूँ । अब तुम रुठ गए तो लिखे कैसे हम।। तुम मेरी प्रेरणा, तुम मेरी पूजा हो। तुम्हारे बिना मैं अधूरा हूँ। कैसे में अब लिखू , गीत मनहर के। […]

सलाम करते हैं हम, उन वीर जवानों को। जिनकी दम पर हम, घरों में आराम करते हैं। और वो देते हैं पहरा, सीमा पर खड़े होकर। उन्ही की दम पर हम, अमन चैन से रहते हैं।। उन्हें क्या मिलता हैं, देश सेवा करने से। किसने उनसे पूछा, कभी उनकी मर्जी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।