माना कि इस मौत से हर एक जीव डरता है, मगर दुखों से कौन सरोकार पसन्द करता है। जीव कष्ट भोगकर भी,जीने की लालसा रखता है दुख-अपमान के पीकर घूँट,चाहें हर रोज़ मरता है। बुढ़ापे में फीके पड़ते गये,जीवन के सतरंगी रंग, भजन भूल, दुख ही बाँटे,अपने जीवनसाथी संग। सत्कर्म […]