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माना कि इस मौत से हर एक जीव डरता है, मगर दुखों से कौन सरोकार पसन्द करता है। जीव कष्ट भोगकर भी,जीने की लालसा रखता है दुख-अपमान के पीकर घूँट,चाहें हर रोज़ मरता है। बुढ़ापे में फीके पड़ते गये,जीवन के सतरंगी रंग, भजन भूल, दुख ही बाँटे,अपने जीवनसाथी संग। सत्कर्म […]

कच्चे धागों का यह रिश्ता, जमीं-आसमान सा पक्का है। बहन-भाई की प्रेम कहानी, जीवन में एक बस सच्चा है। टूटे ना सांसों से ये धागा, जबतक जीवन गुलजार रहे। जब कलाई पे बंधे ये धागा, लगता कितना अच्छा है। दूर रहे या रहे पास तुम, हरदम दुआओं के दौर रहे। […]

बन प्रणेता                   ।भरा मानस मानस रचकर            ।  दिलाये पहचान दिया आधार।१     ।       तुलसी ज्ञान।२ ममत्व भरा                   ।दिये तुलसी सिखलाये मर्यादा।           मार्गदर्शिका बन मानस शब्द।३             तपस्या फल।४ मिले निदान                   मानस धार हरिशरण पथ                हरता है चिंतन मानस पाठ।५             शब्दों में सार।६ जगत गान                          महान कवि करता निरंतर                      छोडकर निकले मानस पाठ।७                     […]

रेशम की डोर में बांध रही  उमीदों का संसार इस धागे में छिपा है भाई बहन का प्यार पर करती हूँ सहमा  सा महसूस खुद को  समाज में   पर इंद्राणी की रक्षा करने वाला , कौन होगा  विष्णु इस बार मै भी रहना चाहती हूँ  सम्मान से पर डरती भी हूँ अपने अपमान से घूरती […]

रुकते-रुकते इस महफ़िल में,जाना अच्छा लगता है। कोई न जाने मुझको यहाँ,अनजाना अच्छा लगता है। दूर निकल देखा रे जिंदगी,वो मजलिस मेरा था ही नहीं। गुमसुम-गुपचुप बैठा यहाँ,सारा बेगाना अच्छा लगता है। छूटा अपने टूटे जो सपने,किसका मुझे है गम करना। ठोकरें इतनी पायी है मैंने,सारा जमाना अच्छा लगता है। […]

एशियन खेल प्रतिस्पर्द्धा में 16 वर्षिय सौरभ चौधरी द्वारा नये कीर्तिमान सहित स्वर्ण पदक जीतने पर बधाई स्वरूप मेरी रचना सोना का तगमा लिया,बना देश का नाज। सौरभ तुम पे गर्व है, हर दिल से आवाज। हर दिल से आवाज,बधाई का हो ताँता। झूम उठे सब लोग,हर्ष में तेरी माता। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।