सनम तेरी मुलाकातों का ये सिलसिला, भुल कर भी सनम कभी भुला न पाया । क्या कमी रह गई प्यार में ये दिलरुबा , सनम आज तक मैं खुद समझ न पाया। आज तक ओ सनम तेरी यादों का, सिल सिला बरकरार है। न जाने कैसी सनम तेरी लगन का, […]
kumar
हुनर हो गर सच में खुद को आफ़ताब बना लो तुझको अदब से पढ़ा करे ऐसी किताब बना लो आशियाने में सुकून बंटता रहे सुबह-शाम तक तमाम जिंदगी अपनी चमन का गुलाब बना लो गुज़रने के बाद भी वजूद हमारा सलामत रहेगा सफर के लिए मंज़िल को बेचैन ख़्वाब बना लो अंधेरों से परेशां लोग अब भी मिल जाएँगे तुम्हें अजनबी की हसरत का चेहरे पर ताब बना लो जमे हुए मिलते हैं सीने में कितने अनछुए पहलू खोटे सिक्कों के नाम भी अच्छा जवाब बना लो शीतल ज़ुबां के संग दिल में झरना भी रखा कर तपे रहने वालों के वास्ते दरिया तालाब बना लो नाम:राजीव कुमार दास पता: हज़ारीबाग़ (झारखंड) सम्मान:डा.अंबेडकर फ़ेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान २०१६ गौतम बुद्धा फ़ेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान २०१७ पी.वी.एस.एंटरप्राइज सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान १४/१२/२०१७ शीर्षक साहित्य परिषद:दैनिक श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान १५/१२/२०१७ काव्योदय:सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान:०१/०१/२०१८,०२/०१/२०१८,०३/०१/२०१८३०/०१/२०१८,०८/०५/२०१८ आग़ाज़:सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान:२५/०१/२०१८ एशियाई साहित्यिक सोसाइटी […]