सनम तेरी मुलाकातों का ये सिलसिला, भुल कर भी सनम कभी भुला न पाया । क्या कमी रह गई प्यार में ये दिलरुबा , सनम आज तक मैं खुद समझ न पाया। आज तक ओ सनम तेरी यादों का, सिल सिला बरकरार है। न जाने कैसी सनम तेरी लगन का, […]

झांका उन्हें मैंने अपने गलियारे से, इसकी भी कोई वजह होगी। उन्होंने तो बस इतना कहा, मैं तुम्हें जानता ही नहीं। शायद इसकी भी कोई वजह होगी। मैं तो इंतजार आज भी करता हूँ उनका, शायद कोई तो वजह होगी। निहारती है आज भी आंखे राहें, शायद तो कोई वजह […]

बचपन में कहीं पढ़ा था रोना नहीं तू कभी हार के सचमुच रोना भूल गया मैं बगैर खुशी की उम्मीद के दुख – दर्दों के सैलाब में बहता रहा – घिसटता रहा भींगी रही आंखे आंसुओं से हमेशा लेकिन नजर आता रहा बिना दर्द के समय देता रहा जख्म पर […]

एक समय था, जब मुन्ना जी  की नियमित दोस्ती थी शराब से, नशा मुक्ति अभियान का बैनर थामे अभियान की अगुवाई करते थे, तो सब लोग इस जुमले पर हंसी ठिठोली किया करते थे । यूं तो मुन्ना जी, और शराब दो जिस्म एक जान कहलाते रहे।  पूरी जिंदगी शराब […]

जहाँ प्रेम की वर्षा होती। सच्चे दिल से चर्चा होती।। प्रेम दिखाता अलग प्रभाव। नहीं दिखाता तनिक दवाब।। प्रेम जगत का असली सार। हर राहों पर देता अधिकार।। अगर नहीं है दिल में प्यार। लाखों विद्या का बंटाधार।। प्रेम है जीवन में अनमोल। इसका विना खत्म है रोल।। #नवीन कुमार […]

हुनर हो गर सच में खुद को आफ़ताब बना लो तुझको अदब से पढ़ा करे ऐसी किताब बना लो आशियाने में सुकून बंटता रहे सुबह-शाम तक तमाम जिंदगी अपनी चमन का गुलाब बना लो गुज़रने के बाद भी वजूद हमारा सलामत रहेगा सफर के लिए मंज़िल को बेचैन ख़्वाब बना लो अंधेरों से परेशां लोग अब भी मिल जाएँगे तुम्हें अजनबी की हसरत का चेहरे पर ताब बना लो जमे हुए मिलते हैं सीने में कितने अनछुए पहलू खोटे सिक्कों के नाम भी अच्छा जवाब बना लो शीतल ज़ुबां के संग दिल में झरना भी रखा कर तपे रहने वालों के वास्ते दरिया तालाब बना लो नाम:राजीव कुमार दास पता: हज़ारीबाग़ (झारखंड)  सम्मान:डा.अंबेडकर फ़ेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान २०१६ गौतम बुद्धा फ़ेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान २०१७ पी.वी.एस.एंटरप्राइज सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान १४/१२/२०१७ शीर्षक साहित्य परिषद:दैनिक श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान १५/१२/२०१७ काव्योदय:सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान:०१/०१/२०१८,०२/०१/२०१८,०३/०१/२०१८३०/०१/२०१८,०८/०५/२०१८ आग़ाज़:सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान:२५/०१/२०१८ एशियाई साहित्यिक सोसाइटी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।