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एक समय था, जब मुन्ना जी की नियमित दोस्ती थी शराब से, नशा मुक्ति अभियान का बैनर थामे अभियान की अगुवाई करते थे, तो सब लोग इस जुमले पर हंसी ठिठोली किया करते थे । यूं तो मुन्ना जी, और शराब दो जिस्म एक जान कहलाते रहे। पूरी जिंदगी शराब ने सौतन का किरदार निभाया मजाल है, जो बोतल जहन से दूर हो जाए । लवली (छोटे) पैक से शुरू हुआ यह सफर पव्वे, अध्दे के रास्ते आधी बाटली रोज लिया जाने लगा । शराब की लत ने घर, परिवार,करियर और रचनाधर्मिता को मानो शून्य ही कर दिया। शराब की लत ने परिवार के ‘खुशनुमा’ माहौल को भी बदरंग कर दिया । कहते है की …पीने वाली को बस पीने का बहाना चाहिए , और यही सोच जीवन मे रच बस गई। व्हाट्सएप्प हो या फेसबुक पर चुटकुले भी शराब से जुड़े आने लगे।
एक दिन परिवार के बाकी सब सदस्यो ने मंत्रणा कर “नशा मुक्ति केंद्र” जो शहर से दूर था, वहां मुन्नाजी को भर्ती कराने का निश्चय किया । जब होश आया तो जेलनुमा मुक्ति केंद्र में अपरिचितों, बुरी लत वालों के बीच खुद को पाया। इनदिनों मुन्ना जी का समय, पल-पल काटे नही कट रहा था। इस केंद्र में बुरी लत वाले लोगों का इलाज ध्यान, योगा, दवा और प्रेरक उद्बोधन से किया जाता है। काफी दिन रहने के बाद भी दवा, उपचार का कोई खासा असर मुन्ना जी पर नजर नहीं हुआ , वही एक दिन केंद्र में कार्यरत रघु भैया ने मुन्ना जी से मुलाकात कर शराब की लत और परिवार के त्याग पर चर्चा की, बातों-बातों में उस बुजुर्ग ने मुन्ना जी को बताया कि आपकी बेहतरी के लिए आपकी पत्नी रोज पूजा-अर्चना करती है, बेटा-बहू , पोता-पोती और पूणा में रहने वाली पिंकी भी आपके लिए फिक्रमंद है । कलकत्ता वाली बहन-कंवर सा. हमेशा चिंतित रहते हैं । आप कितने भाग्यशाली है कि इतने सारे लोग आपके लिए, आपके स्वास्थ्य के लिए तपस्या कर रहे हैं और आप है कि शराब के अतिरिक्त, परिवारजन के बारे में कुछ सोच ही नहीं रहे ?परिवार के लोगो के त्याग, तपस्या वाली प्रेरक बातो ने मुन्नाजी पर इतना गहरा असर किया कि पश्चाताप की “अश्रुधारा” बह निकली । अब परिवार के साथ मुन्ना जी 67 की उम्र में भी युवा नजर आने लगे हैं, चेहरे का नूर लौट आया और अब हर दिन, नया सूरज, नई रोशनी लाता है, और मुन्ना जी हर रोज अलख जगाते है, नशामुक्त समाज के लिए।
#विजयसिंह चौहान
परिचय : विजयसिंह चौहान की जन्मतिथि ५ दिसंबर १९७० और जन्मस्थान इन्दौर हैl आप वर्तमान में इन्दौर(मध्यप्रदेश)में बसे हुए हैंl इन्दौर शहर से ही आपने वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ विधि और पत्रकारिता विषय की पढ़ाई की हैl आपका कार्यक्षेत्र इन्दौर ही हैl सामाजिक क्षेत्र में आप सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय हैं,तो स्वतंत्र लेखन,सामाजिक जागरूकता,तथा संस्थाओं-वकालात के माध्यम से सेवा भी करते हैंl विधा-काव्य,व्यंग्य,लघुकथा व लेख हैl उपलब्धियां यही है कि,उच्च न्यायालय(इन्दौर) में अभिभाषक के रूप में सतत कार्य तथा स्वतंत्र पत्रकारिता में मगन हैंl
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