सुन्दर अपना देश है, सुन्दर जग में शान। वन्य खेत गिरि मेखला,सरिता सिंधु महान। सरिता सिंधु महान, ऋतु ये हैं मन भावन। पेड़,गाय,जल,आग, इन्हे मानें हम पावन। कहे लाल कविराय, बरसते यहाँ पुरंदर। सुन्दर सोच विचार, बोल भाषा सब सुन्दर। . वंदन सुन्दर हो रहा, सुन्दर शुभ परिवेश। सुन्दर फल […]
sharma
*पूजा की थाली सजती है* *अक्षत पुष्प रखें रोली।* *काव्यजगत में ध्रुव सी चमके,* *कवि प्रिया,काव्य रंगोली।* . *हिन्दी साहित सृजन साधना,* *साध करे भाषा बोली।* *कविता गीत गजल चौपाई,* *लिखे कवि काव्य रंगोली।* . *दोहा छंदबद्ध कविताई,* *मुक्तछंद,प्रीत ठिठोली।* *प्रेम रीति शृंगार सलौने,* *पढ़ि देख काव्य रंगोली।* . *लिखे […]