अबला नारी को कहे, होता है अपमान।
बल पौरुष की खान ये,सबको दे वरदान।
सबको दे वरदान, ईश भी यह जन्माए।
महा बली विद्वान, धीर नारी के जाए।
देश रीति इतिहास,बदलती धरती सबला।
करें आत्मपहचान, नहीं ये होती अबला।
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होती पीड़ा प्रसव में, छूट सके ये प्रान।
जानि गर्भ धारण करे,नारी सबल महान।
नारी सबल महान, लहू से संतति सींचे।
खान पान सब देय,श्वाँस जो अपने खींचे।
सूखे में शिशु सोय, समझ गीले में सोती।
ममता सागर नारि, तभी ये सबला होती।
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सबला ममता के लिए,त्याग सके हैं प्रान।
देश धर्म मर्याद हित, ले भी सकती जान।
ले भी सकती जान,जान इतिहास रचाती।
पढ़लो पन्ना धाय, और जौहर जज्बाती।
देती लेती जान, जान क्यों कहते अबला।
सृष्टि धरा सम्मान,नारि प्राकृत सी सबला।
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करती पालन है सदा, रखे गर्भ नौ माह।
रखे वंश पति नाम को, ऐसी सबला वाह।
ऐसी सबला वाह, पितर परिवार भुलाती।
आदर प्यार दुलार, बनी दातार लुटाती।
*शर्मा बाबू लाल*, नमन सबला संग धरती।
भक्ति शक्ति कर्तव्य,धरा या सबला करती।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः