भारत की आज़ादी के पहले ही एक क्रांति अपना अस्तित्व तलाश रही थी, उसी के माध्यम से भारतभर में एक सूत्रीय संपर्क स्थापित हो सकता था। संवाद और संपर्क के प्रथम कारक में हिंदी भाषा का अस्तित्व उभर कर आया। दशकों से हिन्दी भाषा के स्वाभिमान, स्थायित्व और जनभाषा के […]

तुझे देखने का हर रोज, हम इंतजार करते हैं। दिल से हम तुम्हे बहुत, प्यार करते है। कल का दिन तुझे देखे, बिना निकल गया। अब आज हमे तेरा, बहुत इंतजार है ।। आंखों से तीर छोड़ने की, जो तेरी अदा है। तेरी आँखों में नशा है। जो निगाहो से […]

कलयुग में भी लोग प्यार को दिल से वो समझते है। दिल से प्यार के बारे में बहुत कुछ सोचते है। जबकि हम इंसानों से इंसानियत ही रखते है। हमदर्दी के नाम पर, कुछ और समझ वो बैठे है। अपने दिल को वो मानो समर्पित हमे करते है। ऐसे सोचने […]

गये थे एक बारात में में अपने मिलने वालों की। वहां जाकर पता चला ये तो आदर्श ब्याहा है। जिसमें कई चीजें मुझे बहुत अच्छी लगी। फिजूल खर्च इसमें बिल्कुल भी नही था। ये आज के जमाने के, बिल्कुल विपरीत था। और ये जैन समाज के लिए बड़ी बात है। […]

प्यार को प्यार से देखोगे, तो प्यार पाओगे। दिल में मुरझाए हुए, फूल भी खिल जाएंगे। जिस को भीड़ में, ढूंढ रहे है तेरी निगाहें। मेरा दावा है कि वो, तुझे मिल जाएगा।। निगाहों का निगाहों से, जो तुम खेल रहे हो खेल। वो ही निगाहें अब तेरे, दिल को […]

मेरे दिल मे बसे हो तुम, तो में कैसे तुम्हे भूले। उदासी के दिनों की तुम, मेरी हम दर्द थी तुम। इसलिए तो तुम मुझे, बहुत याद आते हो। मगर अब तुम मुझे, शायद भूल गए थे।। आज फिर से तुम्ही ने, निभा दी अपनी दोस्ती। इतने वर्षों के बाद, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।