कृति:-स्वेटर(कहानी संग्रह) लेखक:- अशोक जमनानी प्रकाशक:-संदर्भ प्रकाशन,भोपाल समीक्षक:- राजेश कुमार शर्मा”पुरोहित”    अशोक जमनानी जी के इस कहानी संग्रह में कुल पन्द्रह कहानियाँ हैं। 128 पृष्ठ की इस कृति की कहानियों को आकाशवाणी भोपाल ने पिछले कुछ वर्षों में प्रसारित किया था। आकाशवाणी के कार्यक्रम अधिकारी साकेत अग्निहोत्री  का लेखक […]

सैनिक को, *माँ* की पाती” ”””””””””””””””””””””””””””” .     ( *लावणी छंद*) *पुत्र*  तुझे भेजा सीमा पर, भारत माता   का  दर  है। पूत लाडले ,गाँठ बाँध सुन, वतन हिफाजत तुझ पर है। ✍ त्याग हुआ है बहुत देश में, जितना  सागर में जल  है। अमर रहे  गणतंत्र   हमारा, आजादी  महँगा   फल  है। […]

अपना देश महान है,कहते सारे लोग। दुख सुख में साथी सभी, करते सारे भोग।। किसान मेरे देश के, करते हाहाकार। खाद बीज मिलते नहीं, खेत हुये बेकार।। गौरव गाथा कह रहा, अपना ये इतिहास। देश हमारा कह  रहा, कैसे हुआ विकास।। जन जन अब गाने लगा, वन्दे मातरम गान। मेरे […]

दिव्य जनों के,देव लोक से, कैसे,नाम भुलाएँगे। कैसे बन्धुः इन्द्रधनुष के प्यारे रंग चुराएँगे। सिंधु,पिण्ड,नभ,हरि,मानव भी उऋण कभी हो पाएँगें? माँ के प्रतिरूपों का बोलो, कैसे कर्ज चुकाएँगे। माँ को अर्पित और समर्पित, अक्षर,शब्द सहेजे है। उठी लेखनी मेरे कर से, भाव *मातु* ने भेजे है। पश्चिम की आँधी में […]

मधुकर  बासंती  हुए, भरमाए  निज  पंथ। सगुण निर्गुणी  बहस में, लौटे  प्रीत सुपंथ। लौटे   प्रीत  सुपंथ, हरित परवेज चमकते। गोपी विरहा  संत, भ्रमर दिन रैन खटकते। कहे लाल कविराय,सजे फागुन यों मनहर। कली गोपियों बीच, बने  उपदेशी  मधुकर। .                      भँवरा  कलियों  से करे, निर्गुण  पंथी  बात। कली गोपियों सी सुने, […]

आता है ऋतुराज जब,चले प्रीत की रीत। तरुवर पत्ते दान से, निभे  धरा-तरु  प्रीत। निभे धरा-तरु प्रीत,विहग चहके मनहरषे। रीत  प्रीत  मनुहार, घटा बन उमड़े  बरसे। शर्मा  बाबू लाल, सभी को  मदन सुहाता। जीव जगत मदमस्त,बसंती मौसम आता। .                  भँवरा तो  पागल  हुआ, देख  गुलाबी फूल। कोयल तितली बावरी, चाह […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।