बोर्ड पर लिखी इबारत को , नई इबारत लिखने के लिए मिटाना पड़ता है। हाथों में लगी मेहंदी को , रंग देखने के लिए मिटाना पड़ता है। सूखे हुए पौधे को , नया पौधरोपण के लिए हटाना पड़ता है। समाज में व्याप्त विकृतियों को , नई ऊर्जा का आगाज करके […]

न हम बदले न वो बदले, फिर क्यों बदल रहे इंसान। कल तक जो अपने थे, सब की आंखों में बसते थे। पर अब तो वो सिर्फ, सपनो जैसे देखते है। न हम न वो आये जाएं, अब एक दूसरे के पास।। न हम बदले न वो बदले, फिर क्यों […]

तेजी से बदलती दुनिया में जहां हर कुछ इतनी तेजी से बदल रहा है कि आम आदमी कल्पना भी नहीं कर सकता है । आज हम हर और बदलाव ही बदलाव बदलाव ही बदलाव बदलाव देख रहे हैं। चाहे पहनावा हो, रहन-सहन व खानपान,आचार -व्यवहार, संस्कृति ,तकनीक ,समाज, रिश्ते- नाते, […]

एहसासों के स्पंदन से भावनाओं के आवेग से शब्दों के चमत्कार से ध्वनि की लयात्मकता से प्रस्फुटन होता है काव्य का गढ़ जाता है संक्षिप्त में विस्तार के जज्बों को घटनाओं के उल्लेख को समाज की सर्वग्राहिता को अपने मौन संवादों को व्यक्त कर जन्म होता है एक कविता का […]

मोहब्बत ऐसी थी की, उनको बता न सके। चोट दिल पे थी, इसलिए दिखा न सके। हम चाहते तो नहीं थे, उनसे दूर होना। मगर दूरी इतनी थी, की हम मिटा न सके।। ये बेवफा साँस लेने से, तेरी याद आती है। ये बेवफा साँस न लू , तो भी […]

हर बार इत्तफाक़ों का सैलाब मेहरबान नहीं होता। काम ना आ सके जो दूसरों के वह इंसान नहीं होता। ज़िन्दगी जो बख़्शी है रब ने खुशी से अता फरमाएं, लाख आये मुसीबतें पर ज़िंदादिल परेशान नहीं होता। खुद ही के लिए बस चाहे उम्दा वह खुदगर्ज़ कहाता है, दुनिया में […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।