मन क्यों हुआ यूँ विचलित, ये कैसी हैं बेचैनी ? कौन हूँ मैं,क्या कहूँ खुद को, पूछा जब ये सवाल खुद से.. तो अंतर्मन मेरा बोल पड़ा, है अज्ञानी, ज्ञान नहीं है। साहित्य की अभी पहचान नहीं है, अ ब स से होगी शुरुआत, करो दॄढ़ खुद को, हो जाओ […]
रचनात्मकता,खत्म हुई शायद, नकलों का जहाँ,बोलबाला है। झूठे लोगों की,जय-जयकार, सच्चे का मुँह यहाँ काला है। पंगु जहाँ,चढ़ने लगे पहाड़, सज्जन के,मुहँ पर ताला है। जहाँ बैठे भोले,बने सियार समझो,कुछ गड़बड़ झाला है। जहाँ जीते, हारे बैठे हैं, हारों के गले,विजयमाला है। समझ की बहती,नदी नहीं, समझो,अज्ञान का नाला है। […]