विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा हिन्दी और भारतीय भाषाओं की शोध पत्रिकाओं को सूची से बाहर कर देना अनुचित,अतार्किक और अव्यावहारिक निर्णय है। जब संविधान और राष्ट्र हिन्दी के साथ है,तो फिर आयोग को भारतीय भाषाओं से गुरेज क्यों है? अब समझ आया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग,यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन यूजीसी (यूजीसी ) […]

कब आओगे रविवार? काम बहुत है, जो रख छोड़े, भरोसे तुम्हारे प्यारे रविवार| साफ-सफाई कपड़ों की धुलाई, घर को सजाना है, कब आओगे रविवार? दोस्तों को बुलाना है, उनके घर भी जाना है, पिकनिक मनाना है, आ भी जाओ रविवार | बना लूँ कोई शिल्प आकृति , या कर लूँ […]

इश्क़ को कुछ दिनों में, बांधना गुनाह है। इश्क व्यापार नहीं, बस दिली चाह है। पश्चिमी सभ्यता में, दिन हैं बँधे हुए। रिश्ते उलझनों में, दिल है खुले हुए। रिश्तों की मर्यादा, यहाँ खुद से है वादा। यहाँ तो प्यार भी, मीरा-सा बेपरवाह है।       #शशांक दुबे लेखक […]

वक़्त की नदी से कुछ बून्द चुरा लूँ, पर वक़्त की नदी तो रुकने का नाम ही नहीं लेती। क्या वो ज़िन्दगी के सागर से ज्यादा तेज चलती है? फिर सोचा,तो पता लगा वक़्त की नदी ज़िन्दगी के सागर में ही मिलती है। फिर क्यों वक़्त की नदी, किसी एक […]

कैसे जीत मुझे मिल पाती संघर्षों की उहापोह में, भीतर तक अनमनी ललक को दुविधाओं ने घेर लिया था। अपनेपन का जाल बिछाकर, अपनों ने ही ऐसा फाँसा, सारे पंख उतिनवाकर भी, हँसता रहा आह बिन दिन-दिन। न तो फड़फड़ा पाया जी भर, और न बदल सका मैं करवट, ऐसा […]

कभी तरन्नुम-सी, कभी तब्बसुम-सी.. कभी हल्की-सी, कभी बहकी-सी तुम्हारी यादें। आज बहुत थामकर बैठी हूँ इनको,पर कभी बज उठती हैं, कभी चमक उठती हैं.. कभी सिहर जाती हैं, कभी बिखर जाती हैं। कभी धूप-सी, कभी घटा-सी.. कभी पुष्प-सी, कभी लता-सी.. तुम्हारी यादें। आज बहुत बांधकर बैठी हूँ इनको, पर… कभी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।