तू जिगर का टुकड़ा है मेरा, कैसे तुझसे मैं अंजान बनूं। तू वस्तु नहीं जान है मेरी, भला कैसे मैं तेरा दान करूं ? तुझसे महकता है मेरा घर-आंगन, तुम्हीं से है मेरा यह जीवन। मेरे जीवन का आधार,मेरा प्राण है तू, भला कैसे मैं तेरा दान करूं ? बस […]

पेट की ज्वाला उसकी मजबूरी है, जीने की तृष्णा ने उसे यूं आसक्त कर रखा है कि वह जीने के लिए रोज मर रही है, मरने को हर दिन संवर रही है। खुद को जिंदा रखने को, वह भोग बन गई है। अरमानों का रंग चढ़ाने को, मुर्दों-सी तन गई […]

आओ दीवाली,धूम मचाएं, मिलकर खुशियां,खूब मनाएं। सच में सबको मिले दीवाली, आओ मिलकर दीप जलाएं॥ हर चेहरे पर,रौनक निखरे, खुशियों की, फुलझड़ियां बिखरे॥ सबको खुशियां,प्यार बहुत-सा, देने का संकल्प उठाएं। आओ दीवाली,धूम मचाएं, मिलकर खुशियां,खूब मनाएं। राम आगमन,के पावन दिन, भूखा न हो, कोई जन-मन॥ घर-चौबारे,मन के द्वारे, मंगल वंदनवार […]

शब्द-साधना, ब्रह्म-साधना। यही तो है बस, स्वयं-साधना॥ शब्द मेरे पास आओ, अरे ! प्यारे शब्दों, मेरे पास आओ। कोई गीत,कहानी,कविता सुनाओ॥ मधुर तुम, मधुर तुम, रसीले बहुत हो। सरल तुम, सहज तुम, रंगीले बहुत हो॥ मिसरी से मीठी, हमें तान सुनाओ। अरे ! प्यारे शब्दों ,मेरे पास आओ॥ तुम ही […]

पाखंड को मिली सजा देश तनाव में, खुसर-फुसर हो रही थी मेरे  गांव में। कौन सच्चा-कौन झूठा पहचान हो कैसे, हम माथा रख देते चमत्कारी पाँव में। पार करेगें हमें वो कहते तो यही थे, बस इसलिए बैठे हम उनकी नाव में। नाम भी था काम भी पैसा बहुत ही, […]

मानते रहे वसुंधरा कुटुम्ब के समान, आदिकाल से तभी लगे रहे सुधार में। भारतीयता करे विकास विश्व में अतीव, ध्यान दें सभी इसी सुलक्ष्य के प्रसार में। युद्ध को चुना नहीं चुना पवित्र प्रेम पंथ, भावना विनाश की न आ सकी विचार में। किन्तु मारना उन्हें रहा सदैव आर्य धर्म, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।