मन का दर्पण देख नर,बाहर भरम अथाह। भेद मिटे सारे सहज, अटल रहे उत्साह।। दर्पण को देखा हुआ, मायावरण विमोह। मन की खिड़की जब खुली,मिटा भरम सब मोह।। दर्पण दर्शन सूरत अरु,बाल क्रिडन त्रय ठाम। भूले से नहि आत है,हरि वल्लभ कौ नाम।। सत्य कहाँ दर्पण कहे,मनचीता कह पाय। मन […]