कविता हृदय का स्पन्दन है,यूँ कहा जाए कि स्वत: स्फूर्त आत्मिक उदगार  जब संगीत से तारतम्य लेकर काव्यशास्त्रीय शैली में प्रस्फुटित होते हैं तो कविता बन जाते हैं। कविता हृदय की स्वाभाविक अनुभूतिपरक प्रक्रिया है,जिसे हम दैवीय अनुकम्पा भी कह सकते हैं। लिखना एक अलग बात है,और कविता लिख देना […]

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फूलों से लदे हरे-भरे नीम की महक दे जाती है मन को सुकून भले ही नीम कड़वा हो |   पेड़ पर आई जवानी चिलचिलाती धूप से कभी ढलती नहीं बल्कि खिल जाती है लगता, जेसे नीम ने बांध रखा हो सेहरा |   पक्षी कलरव करते पेड़ पर ठंडी […]

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बीता पतझड़ का मौसम है आई बहार, देखो-देखो जी आया रंगों का त्यौहारl अब तो सूरज भी चंदा-सा शीतल लगे, रितु तरुणाई में अपने पागल लगे, फूल सरसों का लहरा के दिल से कहे.. प्रेम के रंग में रंग दो दिलदार, देखो-देखो जी आया…l गाँव के ताल में कुमुदिनी खिल […]

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बसन्त का इत्र लगाए, रंग-बिरंगे फूलों की मुस्कुराहट की गठरी बाँधकर.. फागुन आ धमका, पीला सिन्दूर,लाल महावर,लाल-हरी चूड़ी, सुर्ख मेंहंदी,गुलाबी साड़ी,काली-काली आँखें,  और रंगीन सपने लेकरl इन्तजार कर रही है वो अपने जोगी के आने का, जो चला गया था उसे अलसाया हुआ छोड़कर.. भारत माँ की धानी चुनर को […]

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व्यथित मन पुलकित हो कैसे, बिखरे जन सम्मिलित हों कैसे। हवस से भरे हों जब तक नयन, नारी तन सम्मानित हो कैसे। सहमी हुई देह आश्वत हो कैसे, अश्रु भरे नेत्र प्रज्वलित हों कैसे। छोटी उम्र में जब अपराध बड़े हों, न्याय की देवी प्रफुल्लित हो कैसे।       […]

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ओछे मन के, लोग होते ओछे ही बड़े न होते। दौड़ते लोग, शुगर से लाचार संयम नहीं। मुखौटे लगा, छुपाते हैं चेहरे सच्चे बनते। चैन हराम, दौड़ें जीवन भर धनी बनते। सुनें गालियाँ, लाचार मज़बूर नन्हें बालक। कटते पेड़, लाचार पंछियों का नहीं ठिकाना। मन लालची, थी रिश्वत खाई जेल […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।