मुल्क और मज़हब की बात है प्यारे, जुबान संभालना ये सियासत है प्यारे। बांटेगी ये हमें अपने-अपने हिसाब से, तेरी और मेरी क्या औकात है प्यारे। जब हम और तुम साथ हैं प्यारे, रहनुमा क्यों परेशां दिखते है सारे। शतरंज का खेल चला है दोनों में, कभी शह तो,कभी मात […]