याद जो मेरी आई होगी

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pavan makwana

फिर इस बार होली पर वो,
सच कितना इठलाई होगी..
सत रंगों की बारिश में वो,
छककर खूब नहाईं होगी….।

भूले से भी मन में उसके,
याद जो मेरी आई होगी..
होली में उसने नफरत अपनी,
शायद आज जलाई होगी….।

ये क्या हुआ जो बहने लगी,
मंद गति शीतल सी ‘पवन’..
याद में मेरी शायद उसने,
फिर से ली अंगड़ाई होगी….।

कैसी है ये अनजान महक,
चारों तरफ फैली है जो..
मुझे रंगने को शायद उसने,
कैसर हाथों से मिलाई होगी….।

पीले,लाल, गुलाबी रंग की,
मेहँदी उसने रचाई होगी..
आएगा कोई मुझसे खेलने होली,
उसने आस लगाई होगी….।

डबडबाई आँखों से उसने,
मेरी राह निहारी होगी..।
पूर्णिमा के चाँद पे जैसे,
आज चकोर बलिहारी होगी….।

रास्ता देखती होगी वो मेरा,
रंगों की थाल सजाई होगी..
आएंगे वो तो,रंग दूंगी उनको,
सोच के वो शरमाई होगी….।

पहचान ना ले बेसब्री कोई,
लोगों से नजरें चुराई होगी..
मन-ही-मन में सारी बातें,
खुद ने खुद को सुनाई होगी….।

होली पर बिछड़कर मुझसे,
आज वो क्या पछताई होगी..
कौन समझाए अब जाकर उसको,
इस बात की ना भरपाई होगी….।

खेलेंगे सब मिलकर होली,
मेरी किस्मत में जुदाई होगी..
मेरे लिए जहर है यह होली,
औरों के लिए मिठाई होगी….
फिर इस बार होली पर वो….।
 #पवन मकवाना

परिचय: इन्दौर निवासी पवन मकवाना माँ सरस्वती के पुत्र हैं,यानि बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। कविताएं लिखने के साथ ही आप स्केच आर्टिस्ट भी रहे हैं तो क्लासिकल गायन-वादन में भी निपुण हैं। आप तबला,हारमोनियम, बांसुरी,ड्रम और आक्टोपेड सहित कई तरह के वाद्य बजा लेते हैं। क्लासिकल नृत्य की शिक्षा भी ली है। बड़े मंचों पर कविता पाठ भी किया है। वर्षों तक गुजराती गरबों में गायन कर स्वयं का आर्केस्ट्रा भी संचालित किया है। फोटो जर्नलिस्ट होकर इंदौर के नामी अखबारों में सेवाएं दी हैं।वर्तमान में स्वतंत्र फोटो जर्नलिस्ट व कमर्शियल फोटोग्राफर के रुप में वेडिंग फोटोग्राफी-वीडियोग्राफी भी करते हैं। कथा,पटकथा व रोचक कहानियों की रचना की है।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।